कोरोना से लड़ने में 'आरोग्य सेतु' मोबाइल एप ख़ास मददगार नहीं
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए केन्द्र सरकार ने एक मोबाइल एपलिकेशन लॉन्च की है। इस मोबाइल एप को डाउनलोड करने की अपील प्रधानमंत्री मोदी ने भी की। हाल ही में लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने इस एप को कोरोना से लड़ने में सबसे बड़ा हथियार बताया है। लेकिन सवाल है कि इस एप को इस्तेमाल कर देश की कितनी आबादी कोरोना से अलर्ट हो सकती है?
आरोग्य सेतु एप भीड़ वाली जगहों में किसी शख्स के कोरोमा संक्रमित या लक्षण होने का नोटिफिकेशन देता है। हालांकि इस मोबाइल एप की पहुंच देश की चंद आबादी तक ही सीमित है। टेलिकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया यानि ट्राई की रिपोर्ट इस बात की तस्दीक़ करती है कि देश की 25 फीसदी आबादी के पास ही स्मार्टफोन है। यानि करीब 34 करोड़ लोग ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं।
जबकि हम कुछ ख़ास एपलिकेशन जैसे व्हॉट्सएप, पेटीएम और इंस्टाग्राम के यूज़र की बात करें, तो इनमें केवल 20 फीसदी यानि करीब 30 करोड़ लोग ही इन एपलिकेशंस का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि आरोग्य सेतु अबतक केवल पांच करोड़ लोगों ने ही डाउनलोड की है यानि देश की आबादी का 3.8 फीसदी। इसके अलावा करीब 66 करोड़ यानि 50 फीसदी आबादी के पास वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन है। वहीं देश के 61 फीसदी घरों में टेलिविज़न है। इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार को मोबाइल एप पर ध्यान केंद्रित करने से ज़्यादा ज़मीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है।
जबकि हम कुछ ख़ास एपलिकेशन जैसे व्हॉट्सएप, पेटीएम और इंस्टाग्राम के यूज़र की बात करें, तो इनमें केवल 20 फीसदी यानि करीब 30 करोड़ लोग ही इन एपलिकेशंस का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि आरोग्य सेतु अबतक केवल पांच करोड़ लोगों ने ही डाउनलोड की है यानि देश की आबादी का 3.8 फीसदी। इसके अलावा करीब 66 करोड़ यानि 50 फीसदी आबादी के पास वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन है। वहीं देश के 61 फीसदी घरों में टेलिविज़न है। इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार को मोबाइल एप पर ध्यान केंद्रित करने से ज़्यादा ज़मीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता है।
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