योगी सरकार ने फैमिली प्लानिंग भत्ता ख़त्म किया, कर्मचारी बोले- क्या हम देशभक्त नहीं?

by Ankush Choubey 4 years ago Views 1721

UP Government Scraps Six Allowances For Employees
यूपी सरकार ने अपने कर्मचारियों के कईं भत्तों को ख़त्म कर दिया है। सरकार का कहना है कि जिन भत्तों को खत्म किया गया है, उनकी अब जरूरत नहीं है। इसलिए इन सभी भत्तों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई हैं।

पहले कंप्यूटर संचालन, द्विभाषी टाइपिंग, स्टोर कीपर को नकदी भंडारों व मूल्यवान चीज़ों की रक्षा के लिए कैश हैंडलिंग, परियोजना भत्ता, पोस्टग्रेजुएट भत्ता और परिवार कल्याण प्रोत्साहन भत्ता मिलता था, जिन्हें यूपी सरकार ने खत्म कर दिया।


द्विभाषी प्रोत्साहन भत्ता 100 से लेकर 300 रुपये महीना दिया जाता था। सिंचाई परियोजना में प्रोजेक्ट के पास रहने की सुविधा ना होने पर परियोजना भत्ता दिया जाता था। कैश हैंडलिंग भत्ते में कैशियर, एकाउंटेंट, स्टोरकीपर को नगदी, भंडारों व ज़रूरी सामान की सुरक्षा के लिए भत्ता दिया जाता था।

4500 रुपये का ग्रेजुएट भत्ता भी खत्म कर दिया गया है। इसके आलावा परिवार नियोजन अपनाने वाले कर्मचारियों को भी भत्ता दिया जाता था, इन भत्तों को खत्म करने के आदेश के बाद से ही रोक लगा दी गई है।

यूपी सचिवालय संघ ने कहा कि कर्मचारियों को मिल रहे भत्तों की धनराशि बढ़ाने के बजाय सरकार ने इन्हें समाप्त कर दिया। यह कर्मचारियों के हितों पर हमला है। खासतौर पर परिवार कल्याण भत्ते को समाप्त किया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के बिल्कुल उलट है। यूपी सचिवालय संघ के आलावा कर्मचारी संगठन और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी यूपी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।

इस पूरे मामले पर यूपी सचिवालय संघ के सदस्य रुदल यादव ने कहा कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री सीमित परिवार के लिए यह कहते है कि वह देशभक्त माना जाए, दूसरी तरफ जो भत्ता मिल रहा था प्रोत्साहन स्वरुप उसको बंद कर रही है। ये दोनों विरोधाभासी बाते हैं,  लेकिन इन विरोधाभासी बातों में एक बात साफ कर दी जाए कि वास्तव में सीमित परिवार वाला देशभक्त है या जिस परिवार की संख्या बड़ी है वो देशभक्त है।

यूपी सचिवालय संघ का कहना है कि यूपी सरकार, दो बच्चों के सीमित परिवार पर अपने कर्मचारियों को स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत 250 रूपये से लेकर 650 रूपये देती थी। लेकिन प्रदेश की योगी सरकार के इस नए फैसले के बाद तीन लाख कर्मचारिययों को इसका नुकसान होगा

यूपी सचिवालय संघ के आलावा कर्मचारी संगठन और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी यूपी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है।

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