चांद की सतह पर उतरने को तैयार है चंद्रयान-2
भारत का सबसे महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 2 चांद की सतह पर उतरने के लिये तैयार है। साल 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस योजना को मंजूरी दी थी। 11 साल की कड़ी मेहनत के बाद 22 जुलाई को मिशन चंद्रयान 2 को जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट से लॉंच किया गया था। ये मिशन जितना रोचक है उतना ही कठिन भी।
इसरो की वेबसाइट के मुताबिक, चंद्रयान-2 दुनिया का ऐसा पहला चंद्र मिशन है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा जहां आज तक कोई भी देश नहीं पहुंच पाया है। इस मिशन का मकसद चंद्रमा के अंदर छिपी उन जानकारियों को जुटाना है जो भारत के साथ-साथ पूरी मानवता के लिये फायदेमंद साबित होंगी।
बता दें कि, इससे पहले भारत का चंद्रयान-1 चांद पर पहुंचा था तो वहां पानी होने के संकेत मिले थे। चंद्रयान-2 मिशन के ज़रिये ये पता लगाया जा सकेगा कि चंद्रमा की किस सतह और उप सतह पर पानी मौजूद है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मिशन की लैंडिंग काफी कठिन है। लैंडर विक्रम की मदद से चंद्रयान-2 को चांद की सतह पर उतारा जाएगा जिसका चुनाव लैंडर खुद ही करेगा, लैंडिंग ऐसी जगह पर कराई जानी है जो सतह समतल और सॉफ्ट हो। चंद्रयान-2 जब सतह से सौ मीटर की दूरी पर होगा तो डेटा और तस्वीरों के आधार पर सुरक्षित जगह का चुनाव किया जाएगा क्योंकि इससे पहले चंद्रमा को लेकर जितने भी अध्ययन हुए हैं उसमें बताया गया है कि चांद की सतहें काफी ऊबड़ खाबड़ हैं और वहां पहाड़ हैं।
बता दें कि, इससे पहले भारत का चंद्रयान-1 चांद पर पहुंचा था तो वहां पानी होने के संकेत मिले थे। चंद्रयान-2 मिशन के ज़रिये ये पता लगाया जा सकेगा कि चंद्रमा की किस सतह और उप सतह पर पानी मौजूद है। वैज्ञानिकों के मुताबिक मिशन की लैंडिंग काफी कठिन है। लैंडर विक्रम की मदद से चंद्रयान-2 को चांद की सतह पर उतारा जाएगा जिसका चुनाव लैंडर खुद ही करेगा, लैंडिंग ऐसी जगह पर कराई जानी है जो सतह समतल और सॉफ्ट हो। चंद्रयान-2 जब सतह से सौ मीटर की दूरी पर होगा तो डेटा और तस्वीरों के आधार पर सुरक्षित जगह का चुनाव किया जाएगा क्योंकि इससे पहले चंद्रमा को लेकर जितने भी अध्ययन हुए हैं उसमें बताया गया है कि चांद की सतहें काफी ऊबड़ खाबड़ हैं और वहां पहाड़ हैं।
महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस स्थान पर चंद्रयान-2 की लैंडिंग होगी चांद का वो हिस्सा हमेशा अंधेरे में रहता है जिस कारण चंद्रयान की लैंडिंग काफी चुनौती भरी हो सकती है। जानकारी के मुताबिक, लैंडिंग होने के काफी देर तक विक्रम लैंडर एक ही स्थान पर रहेगा और तब तक आसपास की सतह की जानकारियां जुटाएगा। चांद की सतह पर उतरने के 15 मिनट बाद लैंडर विक्रम वहां की पहली तस्वीर इसरो को भेजेगा। इसरो की वेबसाइट के मुताबिक चंद्रयान-2, 1:30 से 2:30 के बीच चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक पहुंच जाएगा।Watch this video to find out more about Vikram — Chandrayaan 2’s Lander — and the different stages of its journey to the Moon’s south polar region! https://t.co/2qBLe0T710#ISRO #Moonmission #Chandrayaan2
— ISRO (@isro) September 5, 2019
Latest Videos