साइलेंट फिल्में क्यों होती थी ज़्यादा असरदार, IFFI 2019 में किया जाएगा याद
एक समय था जब फ़िल्मों में आवाज़ नहीं होती थी। लेकिन फिर भी ये फ़िल्में दर्शकों पर गहरा असर छोड़ती थी। फिल्म इंडस्ट्री के उसी साइलेंट ऐरा को याद करने के लिए इस बार के 50वें 'इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया' में साइलेंट फिल्मों को ख़ास जगह दी गई है.
IFFI में इस बार तीन शानदार साईलेंट फ़िल्में दिखायी जा रही हैं। Battleship Potemkin, Pandora's Box और Blackmail. Battleship Potemkin 1925 में आई soviet साइलेंट फिल्म है जिसे Russian मास्टर फिल्म मेकर और montage editing के pioneer Sergei Eisenstein ने बनाया था।
ये फिल्म 1905 में हुए बगावत पर आधारित है जिसमे battleship potemkin के कर्मियों ने अपने ही ऑफिसर्स के खिलाफ विरोध किया था। इस फिल्म को 1958 में अब तक की सबसे अच्छी फिल्म का ख़िताब भी मिला और फिर 2012 में ब्रिटिश फिल्म इंस्टिट्यूट ने भी इस फिल्म को अब तक की 11वीं सबसे अच्छी फिल्म बताया। Pandora's Box 1929 में आई जर्मन साइलेंट फिल्म है जिसे Austrian फिल्म मेकर Georg Wilhelm Pabst ने बनाया है।ये फिल्म Frank Wedekind's के नाटक 'Erdgeist' पर आधारित है। तीसरी फिल्म 1929 में आई ब्रिटिश ड्रामा फिल्म 'ब्लैकमेल' है जिसे Sir Alfred Joseph Hitchcock ने बनाया था। ये फिल्म लंदन की एक महिला के बारे में है, जिसे एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद ब्लैकमेल किया जाता है जो उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश करता है। मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री की शुरुआत भी साईलेंट फ़िल्मों से ही हुई थी दादा साहब फाल्के की फ़िल्म राजा हरिशचंद्र भारत में बनने वाली पहली फ़ीचर फ़िल्म थी ये फ़िल्म भारत में साईलेंट एरा का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। भले ही साइलेंट फिल्मों का दौर ख़त्म हो गया हो लेकिन आज भी इक्स्पेरिमेंट के तौर पर साईलेंट फ़िल्में बन रही हैं। 2011 में आई फ्रेंच कॉमेडी ड्रामा ब्लैक एंड वाइट साइलेंट फिल्म ‘The Artist’ की कामयाबी ये दर्शाती है की फिल्मों को बनाने का ये तरीका आज भी कितना प्रभावपूर्ण है।इस फिल्म को कई अवार्ड्स से सम्मानित किया गया जिसमे पांच अकादमी अवार्ड भी शामिल है। इस साल होने वाले फिल्म फेस्टिवल में करीब 200 फिल्में दिखाई जाएगी जो 76 अलग अलग देशों से आएंगी और 10,000 से ज़्यादा लोगों के आने की उम्मीद की जा रही है।
ये फिल्म 1905 में हुए बगावत पर आधारित है जिसमे battleship potemkin के कर्मियों ने अपने ही ऑफिसर्स के खिलाफ विरोध किया था। इस फिल्म को 1958 में अब तक की सबसे अच्छी फिल्म का ख़िताब भी मिला और फिर 2012 में ब्रिटिश फिल्म इंस्टिट्यूट ने भी इस फिल्म को अब तक की 11वीं सबसे अच्छी फिल्म बताया। Pandora's Box 1929 में आई जर्मन साइलेंट फिल्म है जिसे Austrian फिल्म मेकर Georg Wilhelm Pabst ने बनाया है।ये फिल्म Frank Wedekind's के नाटक 'Erdgeist' पर आधारित है। तीसरी फिल्म 1929 में आई ब्रिटिश ड्रामा फिल्म 'ब्लैकमेल' है जिसे Sir Alfred Joseph Hitchcock ने बनाया था। ये फिल्म लंदन की एक महिला के बारे में है, जिसे एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद ब्लैकमेल किया जाता है जो उसके साथ बलात्कार करने की कोशिश करता है। मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री की शुरुआत भी साईलेंट फ़िल्मों से ही हुई थी दादा साहब फाल्के की फ़िल्म राजा हरिशचंद्र भारत में बनने वाली पहली फ़ीचर फ़िल्म थी ये फ़िल्म भारत में साईलेंट एरा का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। भले ही साइलेंट फिल्मों का दौर ख़त्म हो गया हो लेकिन आज भी इक्स्पेरिमेंट के तौर पर साईलेंट फ़िल्में बन रही हैं। 2011 में आई फ्रेंच कॉमेडी ड्रामा ब्लैक एंड वाइट साइलेंट फिल्म ‘The Artist’ की कामयाबी ये दर्शाती है की फिल्मों को बनाने का ये तरीका आज भी कितना प्रभावपूर्ण है।इस फिल्म को कई अवार्ड्स से सम्मानित किया गया जिसमे पांच अकादमी अवार्ड भी शामिल है। इस साल होने वाले फिल्म फेस्टिवल में करीब 200 फिल्में दिखाई जाएगी जो 76 अलग अलग देशों से आएंगी और 10,000 से ज़्यादा लोगों के आने की उम्मीद की जा रही है।
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