हॉन्ग कॉन्ग के ज़िला परिषद चुनाव में Pro Democrats का बोलबाला
पांच महीने से अशांत चल रहे हॉन्ग कॉन्ग में ज़िला परिषद के चुनाव में लोकतंत्र समर्थक समूह भारी जीत की ओर बढ़ रहे हैं जबकि बीजिंग समर्थक उम्मीदवारों को इसमें तगड़ा झटका लगा है।
Extradition Bill के ख़िलाफ़ तक़रीबन पांच महीने से विरोध प्रदर्शन झेल रहे हॉन्ग कॉन्ग में ज़िला परिषद का चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में हुआ। इस बार के चुनाव में रिकॉर्ड 70 फ़ीसदी मतदान हुआ जबकि 2015 के ज़िला परिषद चुनाव में तक़रीबन 47 फ़ीसदी मतदान हुआ था।
चुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है और शुरुआती रुझानों में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों को बढ़त हासिल हुई है। रुझानों में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों ने 278 सीटों पर बढ़त बना रखी है जबकि बीजिंग समर्थक उम्मीदवार 42 सीटों पर आगे चल रहे हैं। वहीं 24 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार आगे हैं। वीडियो देखें: हॉन्ग कॉन्ग के ज़िला परिषद चुनाव में 18 ज़िलों से कुल 452 पार्षद चुने जाते हैं और रुझानों में 12 ज़िलों पर लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों का दबदबा क़ायम है। हॉन्ग कॉन्ग की कुल आबादी 74 लाख और मतदाताओं की संख्या 41 लाख है। यहां ज़िला परिषद का चुनाव जीतने वाले काउंसलर शहर के मुख्य एग्ज़िक्यूटिव को चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह चुनाव हॉन्ग कॉन्ग की नेता और चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लैम के लिए भी शक्ति परीक्षण के तौर पर देखा जा रहा है। अगर नतीजा लोकतंत्र समर्थकों के पक्ष में जाता है तो बीजिंग समर्थकों के लिए यह बड़ा झटका साबित होगा।
चुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है और शुरुआती रुझानों में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों को बढ़त हासिल हुई है। रुझानों में लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों ने 278 सीटों पर बढ़त बना रखी है जबकि बीजिंग समर्थक उम्मीदवार 42 सीटों पर आगे चल रहे हैं। वहीं 24 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार आगे हैं। वीडियो देखें: हॉन्ग कॉन्ग के ज़िला परिषद चुनाव में 18 ज़िलों से कुल 452 पार्षद चुने जाते हैं और रुझानों में 12 ज़िलों पर लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों का दबदबा क़ायम है। हॉन्ग कॉन्ग की कुल आबादी 74 लाख और मतदाताओं की संख्या 41 लाख है। यहां ज़िला परिषद का चुनाव जीतने वाले काउंसलर शहर के मुख्य एग्ज़िक्यूटिव को चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह चुनाव हॉन्ग कॉन्ग की नेता और चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लैम के लिए भी शक्ति परीक्षण के तौर पर देखा जा रहा है। अगर नतीजा लोकतंत्र समर्थकों के पक्ष में जाता है तो बीजिंग समर्थकों के लिए यह बड़ा झटका साबित होगा।
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