संसद हमले की 18वीं बरसी: जब गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था संसद परिसर
संसद हमले की 18वीं बरसी पर सभी दलों ने इस हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत ज़्यादातर दलों ने नुमाइंदों ने शहीदों को फूल अर्पित किए. यह हमला 13 दिसंबर 2001 को हुआ था जिसमें सुरक्षाबलों के पांच जवान समेत 9 लोगों की मौत हो गई थी।
संसद हमले की 18वीं बरसी पर पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमात दलों के नुमाइंदों ने शहीद सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी है. वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर शहीद हुए जवानों और अन्य लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
संसद पर हमला 13 दिसंबर साल 2001 को दिन में तक़रीबन 11:30 बजे हुआ था. तब सफेद एम्बेस्डर कार में सवार जैश के आतंकवादी संसद भवन में घुस गए थे और गोलीबारी शुरू हो गई थी. इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड और एक माली की मौत हुई थी. हमले के वक्त संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और उस वक्त संसद के भीतर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, विपक्ष की नेता सोनिया गांधी, तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य दिग्गज सियासी हस्तियां मौजूद थीं. हालांकि जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने सभी पांच आतंकवादियों को ढेर कर दिया था और जनता के सभी नुमाइंदे सुरक्षित निकाल लिए गए थे. इस हमले में ट्रायल कोर्ट ने अफजल गुरु, शौकत हसन और डीयू प्रोफ़ेसर एसएआर गिलानी को मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि बाद में अदालत ने प्रोफ़ेसर एसएआर गिलानी को बाइज़्ज़त बरी कर दिया था. शौकत हसन की सज़ा फांसी की बजाय 10 साल की जेल में तब्दील कर दी गई थी और अफ़ज़ल गुरू की फांसी की सज़ा बरक़रार रखी थी. 9 फरवरी 2013 को इस हमले में दोषी अफजल गुरु को फाँसी पर चढ़ा दिया गया था.
संसद पर हमला 13 दिसंबर साल 2001 को दिन में तक़रीबन 11:30 बजे हुआ था. तब सफेद एम्बेस्डर कार में सवार जैश के आतंकवादी संसद भवन में घुस गए थे और गोलीबारी शुरू हो गई थी. इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड और एक माली की मौत हुई थी. हमले के वक्त संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और उस वक्त संसद के भीतर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, विपक्ष की नेता सोनिया गांधी, तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य दिग्गज सियासी हस्तियां मौजूद थीं. हालांकि जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने सभी पांच आतंकवादियों को ढेर कर दिया था और जनता के सभी नुमाइंदे सुरक्षित निकाल लिए गए थे. इस हमले में ट्रायल कोर्ट ने अफजल गुरु, शौकत हसन और डीयू प्रोफ़ेसर एसएआर गिलानी को मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि बाद में अदालत ने प्रोफ़ेसर एसएआर गिलानी को बाइज़्ज़त बरी कर दिया था. शौकत हसन की सज़ा फांसी की बजाय 10 साल की जेल में तब्दील कर दी गई थी और अफ़ज़ल गुरू की फांसी की सज़ा बरक़रार रखी थी. 9 फरवरी 2013 को इस हमले में दोषी अफजल गुरु को फाँसी पर चढ़ा दिया गया था.
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