केन्द्र सरकार के 36 में से 33 मंत्री नहीं पहुंचे कश्मीर

by Ankush Choubey 4 years ago Views 2161

केंद्र सरकार ने आवाम में भरोसा जगाने के लिए अपने 36 मंत्रियों पांच दिनों के लिए जम्मू-कश्मीर के दौरे पर भेजा था. यह दौरा पूरा हो गया लेकिन इसकी ज़्यादा हलचल जम्मू डिवीज़न में देखने को मिली. घाटी में लोगों के बीच असंतोष ज़्यादा है जहां महज़ तीन मंत्री पहुंच पाए. सारे मंत्री जम्मू से लौट आए और कश्मीर केवल तीन मंत्री ही गए।

जम्मू-कश्मीर की आवाम में भरोसा जगाने के लिए केंद्र सरकार के 36 मंत्रियों का पांच दिनों का दौरा ख़त्म हो गया. मगर केंद्र सरकार के 33 मंत्री जम्मू के सभी 10 जिलों जम्मू, डोडा, कठुआ, रामबान, रियासी, किश्तवार, पुंछ, राजौरी, उधमपुर और साम्बा में पहुंचे जबकि घाटी में सिर्फ तीन केंद्रीय मंत्री गए. इनमें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी और गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय श्रीनगर और गृह राज्य जी किशन रेड्डी गांदरबल पहुंचे.


केंद्र सरकार का दावा कि 36 मंत्रियों ने 12 जिलों में 60 अलग-अलग जगहों पर 200 से ज़्यादा विकास कार्यों का शिलान्यास किया. हालांकि इनमें ज़्यादातर जम्मू डिवीज़न में हैं. 

5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था. मगर केंद्र सरकार के इस आउटरीच कार्यक्रम में लद्दाख़ को शामिल नहीं किया गया. यहां केंद्र सरकार का एक भी मंत्री नहीं पहुंचा. 

जम्मू-कश्मीर में जब बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन वाली सरकार बनी थी, तब पीएम मोदी ने घाटी में जाकर 80 हजार करोड़ के पैकेज का ऐलान किया था. मगर सवाल उठ रहा है कि जब केंद्र सरकार पर फिलहाल 8 लाख करोड़ से ज्यादा का वित्तीय घाटा है तो इतनी बड़ी रकम जम्मू-कश्मीर के लिए कैसे निकाली जाएगी. 

केंद्र सरकार आउटरीच प्रोग्राम ज़रूर चला रही है लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के 5 महीने बाद भी घाटी में हालात में कुछ ख़ास सुधार नहीं हुआ है. जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, महबूबा मुफ़्ती और ओमर अब्दुल्लाह समेत कई नेता अभी भी नज़रबंद हैं। इतना लंबा वक़्त गुज़र जाने के बावजूद घाटी में इंटरनेट सेवा बहाल नहीं हो सकी है. साउथ कश्मीर के ज़िलों में आए दिन एनकाउंटर भी हो रहे हैं. वहीं विपक्ष का कहना है कि अगर घाटी में सबकुछ ठीक है तो उन्हें वहां जाने से रोका क्यों जा रहा है.

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सवाल सिर्फ विपक्षी नेताओं का नहीं है. हाल ही में 15 से ज्यादा देशों के विदेशी राजनयिकों को जब केंद्र सरकार घाटी लेकर पहुंची तो यूरोपियन यूनियन के सांसदो साथ जाने से मना कर दिया था. ईयू के सांसदों का साफ कहना था कि वे भारत सरकार के किसी टूर गाइड का हिस्सा नहीं बनना चाहते जहां वो अपनी मर्ज़ी से लोगों से खुलकर बात तक ना कर सकें।

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