एम्स के नर्सों की हड़ताल आठवें दिन भी जारी, डॉक्टर हर्षवर्धन से फौरन दख़ल की मांग
कोरोना हॉटस्पॉट में तब्दील हो चुके दिल्ली एम्स की नर्स यूनियन एक जून से हड़ताल पर है. अब देशभर में नर्सों के सबसे पुराने और बड़े संगठन द ट्रेंड नर्सेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को चिट्ठी लिखकर दख़ल की मांग की है.
एम्स में तक़रीबन 5 हज़ार महिला और पुरुष नर्स काम करते हैं. इनकी सबसे बड़ी दिक़्क़त छह घंटे तक पीपीई किट पहनकर काम करना है. एम्स नर्सेज़ यूनियन की मांग है कि पीपीई किट के साथ काम के घंटे घटाकर चार किए जाएं. हर दिन छह घंटे पीपीई किट पहनकर काम करने से उनकी मुश्किलें बढ़ रही है. सबसे ज़्यादा उन नर्सों को दिक्कत आ रही है कि जो पीरियड से गुज़र रही हैं. उन्हें सैनिटरी पैड की बजाय मेल डायपर पहनना पड़ रहा है क्योंकि पीपीई किट पहनने के बाद ड्यूटी ख़त्म होने पर ही पैड बदला जा सकता है. इस दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग होने से उन्हें इन्फेक्शन, रैशेज़ वग़ैरह की दिक़्क़त हो रही है.
तीन लाख से ज़्यादा नर्सों के नेटवर्क वाली इस असोसिएशन ने लिखा है कि एम्स की नर्स यूनियन और एम्स प्रशासन के बीच तमाम बैठकें और बातचीत बेनतीजा रहीं. बिना किसी सुविधा के अपनी जान जोखिम में डालकर नर्स 12-12 घंटे काम कर रहे हैं. नाइट ड्यूटी के बाद उनपर डे शिफ्ट में भी काम करने का दबाव बनाया जा रहा है और लगातार काम करने के बीच में उन्हें आराम करने तक का वक़्त नहीं मिल रहा है. चिट्ठी में अपील की गई है कि स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन इस समस्या का फौरन हल निकालें वरना खराब हालत में काम कर रही नर्सें जल्द ही बीमार होना शुरू हो जाएंगी.We are aggrieved to understand that many genuine grievances of nurses at AIIMS taken up by AIIMS Nurses Union remain unattended despite regular,periodic representations&meeting with institute authorities: Trained Nurses Association of India in a letter to Union Health Minister pic.twitter.com/fJwdp8cmyc
— ANI (@ANI) June 7, 2020
एम्स में तक़रीबन 5 हज़ार महिला और पुरुष नर्स काम करते हैं. इनकी सबसे बड़ी दिक़्क़त छह घंटे तक पीपीई किट पहनकर काम करना है. एम्स नर्सेज़ यूनियन की मांग है कि पीपीई किट के साथ काम के घंटे घटाकर चार किए जाएं. हर दिन छह घंटे पीपीई किट पहनकर काम करने से उनकी मुश्किलें बढ़ रही है. सबसे ज़्यादा उन नर्सों को दिक्कत आ रही है कि जो पीरियड से गुज़र रही हैं. उन्हें सैनिटरी पैड की बजाय मेल डायपर पहनना पड़ रहा है क्योंकि पीपीई किट पहनने के बाद ड्यूटी ख़त्म होने पर ही पैड बदला जा सकता है. इस दौरान ज़्यादा ब्लीडिंग होने से उन्हें इन्फेक्शन, रैशेज़ वग़ैरह की दिक़्क़त हो रही है.
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