ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन ट्रायल के तीसरे स्टेज में पहुंची, पुणे में हलचल तेज़ हुई
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने के दूसरे चरण में बाज़ी मार ली है. 1007 लोगों पर ट्रायल में मिली कामयाबी के बाद इस तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि अगर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन सभी चार ट्रायल में कामयाब हो जाती है तो फिर इसकी मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू हो जाएगा. बहुत तेज़ी की गई तो इस साल के आख़िर तक कोरोनावायर की वैक्सीन बाज़ार में आ सकती है.
वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में चार चरण का ट्रायल होता है. पहले चरण में जानवरों और दूसरे चरण में इंसानों के छोटे समूह पर परीक्षण किया जाता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले जेनर इंस्टीट्यूट ने दूसरे चरण के ट्रायल में कामयाबी हासिल कर ली है. ट्रायल में पता चला कि जिन 1007 लोगों को टीका लगाया गया उनके शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण हुआ है. ट्रायल में 18 से 55 साल की आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया गया था.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जेनर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर एड्रियन हिल ने बताया कि लगभग हर किसी में प्रतिरोधक क्षमता देखने को मिली है. यह वैक्सीन खासतौर पर इम्यून सिस्टम को मजबूत कर देती है जो संक्रमण को रोकने में काफी कारगर हैं. अब तीसरे चरण में हज़ारों इंसानों पर ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक फिलहाल 23 वैक्सीनों का परीक्षण काफी एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है. इनमें चीन की भी एक वैक्सीन शामिल है. पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में भी इस वैक्सीन को लेकर ख़ासी हलचल है. ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने इसी भारतीय कंपनी को अपनी कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए चुना है. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादकों में शामिल है, जो अब हर साल 1.5 अरब वैक्सीन डोज तैयार करती है जिनमें पोलियो से लेकर मीजल्स तक के वैक्सीन शामिल हैं. भारत में इस वैक्सीन की एक अरब डोज बनाने की तैयारी है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जेनर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर एड्रियन हिल ने बताया कि लगभग हर किसी में प्रतिरोधक क्षमता देखने को मिली है. यह वैक्सीन खासतौर पर इम्यून सिस्टम को मजबूत कर देती है जो संक्रमण को रोकने में काफी कारगर हैं. अब तीसरे चरण में हज़ारों इंसानों पर ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक फिलहाल 23 वैक्सीनों का परीक्षण काफी एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है. इनमें चीन की भी एक वैक्सीन शामिल है. पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में भी इस वैक्सीन को लेकर ख़ासी हलचल है. ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने इसी भारतीय कंपनी को अपनी कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए चुना है. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादकों में शामिल है, जो अब हर साल 1.5 अरब वैक्सीन डोज तैयार करती है जिनमें पोलियो से लेकर मीजल्स तक के वैक्सीन शामिल हैं. भारत में इस वैक्सीन की एक अरब डोज बनाने की तैयारी है.
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