दिल्ली हिंसा: पीड़ितों के बाद अब अमित शाह ने कहा 300 दंगाई यूपी से आए थे
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के 17 दिन बाद संसद में इसपर बहस हुई. इस दौरान विपक्ष ने सरकार पर हिंसा रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया तो सरकार ने दंगा भड़काने का इल्ज़ाम विपक्ष के मत्थे पर मढ़ दिया. इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया कि दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाक़े में 300 दंगाइयों उत्तर प्रदेश से आए थे. सवाल ये है कि यूपी की योगी सरकार अपने राज्य के दंगाइयों को राजधानी दिल्ली में घुसने से क्यों नहीं रोक सकी.
दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाक़े में 23 फरवरी को भड़के दंगे में 53 लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन संसद में इसपर बहस 11 मार्च को हुई. इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली में हिंसा करने वाले 300 दंगाई पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से आए थे। यही दावा दंगा प्रभावित इलाक़े के मुकामी लोगों का भी है कि हिंसा, लूटपाट और आगज़नी करने वाले बाहर से आए थे.
मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में सरकार बीजेपी की है. यहां सीएम योगी आदित्यनाथ क़ानून व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं तो फिर उनके राज्य से दंगाई दिल्ली में कैसे घुस आए. सवाल उठ रहे हैं कि जब दिल्ली के उत्तर-पूर्वी ज़िले में हिंसा फ़ैली, तब उत्तर प्रदेश से लगे बॉर्डर को सील क्यों नहीं किए गए. अमित शाह ने कहा कि 300 बाहरी दंगाइयों की शिनाख्त हो चुकी है जो बताता है कि कैसे इस दंगे के पीछे गहरी साज़िश है। वीडियो देखिये अमित शाह ने कहा कि अभी तक कुल 1,100 दंगाइयों की शिनाख़्त हो चुकी है. इनके अलावा ऐसे 60 सोशल मीडिया अकाउंट्स की पहचान की गई है, जिन्हें 22 फ़रवरी को खोला गया और 26 फ़रवरी को बंद कर दिया गया. इनपर भड़काऊ कंटेंट मौजूद थे. सरकार अब इन अकाउंट्स खोलने वालों पर कार्रवाई का ऐलान कर रही है लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि जब कश्मीर या किसी भी इलाक़े में हालात बिगड़ने पर इंटरनेट कर्फ्यू लगाया गया तो दंगा-ग्रस्त इलाको में इंटरनेट बंद क्यों नहीं किया। ज़ाहिर है कि अगर इंटरनेट बंद किया जाता तो अफवाहों से भड़कने वाली हिंसा को कम किया जा सकता था. दिल्ली पुलिस ने भी अपनी जांच में माना है कि दंगा भड़काने में सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही है और कम से काम 50 व्हाट्सएप्प ग्रुप पुलिस की जांच के दायरे में है।
मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में सरकार बीजेपी की है. यहां सीएम योगी आदित्यनाथ क़ानून व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं तो फिर उनके राज्य से दंगाई दिल्ली में कैसे घुस आए. सवाल उठ रहे हैं कि जब दिल्ली के उत्तर-पूर्वी ज़िले में हिंसा फ़ैली, तब उत्तर प्रदेश से लगे बॉर्डर को सील क्यों नहीं किए गए. अमित शाह ने कहा कि 300 बाहरी दंगाइयों की शिनाख्त हो चुकी है जो बताता है कि कैसे इस दंगे के पीछे गहरी साज़िश है। वीडियो देखिये अमित शाह ने कहा कि अभी तक कुल 1,100 दंगाइयों की शिनाख़्त हो चुकी है. इनके अलावा ऐसे 60 सोशल मीडिया अकाउंट्स की पहचान की गई है, जिन्हें 22 फ़रवरी को खोला गया और 26 फ़रवरी को बंद कर दिया गया. इनपर भड़काऊ कंटेंट मौजूद थे. सरकार अब इन अकाउंट्स खोलने वालों पर कार्रवाई का ऐलान कर रही है लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि जब कश्मीर या किसी भी इलाक़े में हालात बिगड़ने पर इंटरनेट कर्फ्यू लगाया गया तो दंगा-ग्रस्त इलाको में इंटरनेट बंद क्यों नहीं किया। ज़ाहिर है कि अगर इंटरनेट बंद किया जाता तो अफवाहों से भड़कने वाली हिंसा को कम किया जा सकता था. दिल्ली पुलिस ने भी अपनी जांच में माना है कि दंगा भड़काने में सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही है और कम से काम 50 व्हाट्सएप्प ग्रुप पुलिस की जांच के दायरे में है।
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