लॉकडाउन में ख़र्च नहीं हुआ तो विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार
देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 500 अरब डॉलर के ऊपर पहुंच गया है. एक सप्ताह में आठ अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ पांच जून को विदेशी मुद्रा भंडार 501.7 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियां ठप होने के चलते ईंधन की खपत घट गई और सरकार को तेल कंपनियों को विदेशी मुद्रा में भुगतान नहीं करना पड़ा. मगर इसके अलावा भी तमाम वजहें हैं जिसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. पिछले साल भारतीयों ने 18 हज़ार 750 मिलियन डॉलर बाहर भेजे थे. कोरोना महामारी के बाद इसमें भारी गिरावट आई है.
आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल अप्रैल के मुक़ाबले इस अप्रैल में बाहर पैसा भेजने के मामले में 61 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. अप्रैल 2019 में भारतीयों ने 1287.91 मिलियन डॉलर विदेश भेजे थे जो अप्रैल 2020 में घटकर 499.14 मिलियन डॉलर रह गया.
सबसे ज्यादा 71.81 फीसदी की गिरावट विदेश घूमने जाने से जुड़े खर्चों में देखी गई. पिछले साल अप्रैल में भारतीयों ने 429.75 मिलियन अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पर ख़र्च किया जो अप्रैल 2020 में घटकर 121.13 मिलियन डॉलर रह गया. आंकड़े बताते हैं कि हर महीने तकरीबन 20 लाख भारतीय विदेश यात्रा पर जाते हैं. दूसरी सबसे बड़ी गिरावट 68.85 फ़ीसदी की विदेश में पढ़ रहे बच्चों के मामले में हुई. पिछले साल अप्रैल में बच्चों को 252.84 मिलियन डॉलर भेजे गए थे जो अप्रैल 2020 में घटकर 78.76 मिलियन डॉलर रह गया. साल 2018 में 7 लाख भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ रहे थे. वीडियो देखिए हर साल भारतीय विदेशों में रहने वाले रिश्तेदारों को भी पैसा भेजते हैं जिसमें 50 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल अप्रैल में रिश्तेदारों को 296.14 मिलियन डॉलर भेजे गए थे जो इस साल अप्रैल में घटकर 148.25 मिलियन डॉलर रह गया. हर साल लोग अपने चाहने वालों को तोहफे भी भेजा करते थे जिसमे 66% की गिरावट दर्ज़ हुई है. इसी तरह विदेशों में इलाज के लिए जाने वालों के मामले में 45.85% फीसदी गिरावट दर्ज हुई है. यही वजह है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. केंद्र सरकार के मंत्री इसे मोदी सरकार की कामयाबी बताने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हक़ीक़त में ये आंकड़े मंदी के सबूत हैं.
सबसे ज्यादा 71.81 फीसदी की गिरावट विदेश घूमने जाने से जुड़े खर्चों में देखी गई. पिछले साल अप्रैल में भारतीयों ने 429.75 मिलियन अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पर ख़र्च किया जो अप्रैल 2020 में घटकर 121.13 मिलियन डॉलर रह गया. आंकड़े बताते हैं कि हर महीने तकरीबन 20 लाख भारतीय विदेश यात्रा पर जाते हैं. दूसरी सबसे बड़ी गिरावट 68.85 फ़ीसदी की विदेश में पढ़ रहे बच्चों के मामले में हुई. पिछले साल अप्रैल में बच्चों को 252.84 मिलियन डॉलर भेजे गए थे जो अप्रैल 2020 में घटकर 78.76 मिलियन डॉलर रह गया. साल 2018 में 7 लाख भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ रहे थे. वीडियो देखिए हर साल भारतीय विदेशों में रहने वाले रिश्तेदारों को भी पैसा भेजते हैं जिसमें 50 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल अप्रैल में रिश्तेदारों को 296.14 मिलियन डॉलर भेजे गए थे जो इस साल अप्रैल में घटकर 148.25 मिलियन डॉलर रह गया. हर साल लोग अपने चाहने वालों को तोहफे भी भेजा करते थे जिसमे 66% की गिरावट दर्ज़ हुई है. इसी तरह विदेशों में इलाज के लिए जाने वालों के मामले में 45.85% फीसदी गिरावट दर्ज हुई है. यही वजह है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. केंद्र सरकार के मंत्री इसे मोदी सरकार की कामयाबी बताने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हक़ीक़त में ये आंकड़े मंदी के सबूत हैं.
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