जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा ज़रगर को दिल्ली हाईकोर्ट से ज़मानत मिली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रिसर्च स्कॉलर सफूरा ज़रगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़मानत दे दी है. सफूरा ज़रगर पांच महीने की गर्भवती हैं और उन्हें यह ज़मानत मेडिकल ग्राउंड पर दी गई है. हालांकि ज़मानत देते हुए हाई कोर्ट ने कुछ शर्तें भी रखी हैं जिनके मुताबिक़ बिना इजाज़त उन्हें दिल्ली छोड़ने के लिए मना किया गया है. साथ ही, दिल्ली दंगों की जांच में एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए कहा है.
सफूरा ज़रगर को दिल्ली पुलिस ने 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. तब दिल्ली पुलिस ने उनपर उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाक़े में भड़के दंगे का आरोपी बनाया था. दिल्ली पुलिस ने सफूरा पर आतंकवाद की रोकथाम के लिए बने क़ानून यूएपीए की धाराओं के तहत भी मुक़दमा दर्ज किया था.
दिल्ली हाईकोर्ट से पहले उन्होंने ट्रायल कोर्ट में ज़मानत अर्ज़ी दाखिल की थी लेकिन 21 अप्रैल को उनकी अर्ज़ी ख़ारिज हो गई थी. तब कोर्ट ने कहा था, ‘जब आप अंगारे के साथ खेलना चुनते हैं, तो आप हवा को दोष नहीं दे सकते कि चिंगारी थोड़ी दूर तक पहुंच जाए और आग फैल जाए.’ कोर्ट ने ये भी कहा था, ‘भले ही आरोपी (सफूरा जरगर) ने हिंसा का कोई काम नहीं किया लेकिन वो ग़ैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने दायित्व से नहीं बच नहीं सकतीं.’ हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मानवीय आधार पर ज़मानत देने का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘मानवीय आधार पर सफूरा को मिली ज़मानत से कोई आपत्ति नहीं है.’ कश्मीर की रहने वाली सफूरा ज़रगर जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही हैं। साथ ही, वो जामिया को-ऑर्डिनेशन कमिटी की सदस्य भी हैं जिसने दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन शुरू किया था.
दिल्ली हाईकोर्ट से पहले उन्होंने ट्रायल कोर्ट में ज़मानत अर्ज़ी दाखिल की थी लेकिन 21 अप्रैल को उनकी अर्ज़ी ख़ारिज हो गई थी. तब कोर्ट ने कहा था, ‘जब आप अंगारे के साथ खेलना चुनते हैं, तो आप हवा को दोष नहीं दे सकते कि चिंगारी थोड़ी दूर तक पहुंच जाए और आग फैल जाए.’ कोर्ट ने ये भी कहा था, ‘भले ही आरोपी (सफूरा जरगर) ने हिंसा का कोई काम नहीं किया लेकिन वो ग़ैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने दायित्व से नहीं बच नहीं सकतीं.’ हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मानवीय आधार पर ज़मानत देने का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘मानवीय आधार पर सफूरा को मिली ज़मानत से कोई आपत्ति नहीं है.’ कश्मीर की रहने वाली सफूरा ज़रगर जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही हैं। साथ ही, वो जामिया को-ऑर्डिनेशन कमिटी की सदस्य भी हैं जिसने दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन शुरू किया था.
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