एच1-बी वीज़ा बंद होने से हज़ारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के सपने टूटे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने साल 2020 के लिए एच1-बी वीज़ा निलंबित करने का ऐलान किया है. ट्रंप प्रशासन ने यह फैसला उन अमेरिकी नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है जो कोरोना महामारी के चलते बेरोज़गार हो गए हैं. वहीं भारत समेत दुनियाभर के प्रोफेशनल्स के लिए एक बड़ा झटका है जो अमेरिका में नौकरी पाने का सपना देख रहे थे.
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल में अमेरिका में बसने वाले अप्रवासियों को रोकने का आदेश जारी किया था. तब एच1-बी वीज़ा समेत हर तरह की वीज़ा प्रक्रिया रोक दी गई थी. हालांकि तब यह कहा गया था कि वीज़ा सेवा पर रोक 60 दिनों के लिए लगाई गई है और यह पाबंदी अस्थायी है. मगर अब इस रोक को 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में अप्रवासियों को बसाने के धुर विरोधी हैं. माना जा रहा है कि उन्होंने नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखकर यह फैसला किया है. वो चुनावों में इसे मुद्दा बना सकते हैं और अगर दोबारा जीतकर आते हैं तो अप्रवासी विरोधी नीति में और कड़ाई कर सकते हैं. इससे अमेरिका में पढ़ाई और नौकरी करने वालों और ग्रीन कार्ड पाने की उम्मीद रखने वाले लाखों लोगों को बड़ा झटका लग सकता है. इनमें बड़ी संख्या भारतीयों की होती है. अमेरिका हर साल 85 हज़ार लोगों को एच1-बी वीज़ा जारी करता है जिनमे दो तिहाई लोग भारतीय होते हैं. इस वीज़ा की अवधि छह साल की होती है और अमेरिकी कंपनियों में डिमांड के चलते भारतीय छाए रहते हैं. मगर नया आदेश लागू होने के चलते ऐसे लोगों को अब कम से कम एक साल तक इंतज़ार करना होगा. यह फैसला उन पेशेवरों को भी प्रभावित करेगा जो अपने एच1-बी वीज़ा को रेन्यू कराना चाहते थे.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में अप्रवासियों को बसाने के धुर विरोधी हैं. माना जा रहा है कि उन्होंने नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखकर यह फैसला किया है. वो चुनावों में इसे मुद्दा बना सकते हैं और अगर दोबारा जीतकर आते हैं तो अप्रवासी विरोधी नीति में और कड़ाई कर सकते हैं. इससे अमेरिका में पढ़ाई और नौकरी करने वालों और ग्रीन कार्ड पाने की उम्मीद रखने वाले लाखों लोगों को बड़ा झटका लग सकता है. इनमें बड़ी संख्या भारतीयों की होती है. अमेरिका हर साल 85 हज़ार लोगों को एच1-बी वीज़ा जारी करता है जिनमे दो तिहाई लोग भारतीय होते हैं. इस वीज़ा की अवधि छह साल की होती है और अमेरिकी कंपनियों में डिमांड के चलते भारतीय छाए रहते हैं. मगर नया आदेश लागू होने के चलते ऐसे लोगों को अब कम से कम एक साल तक इंतज़ार करना होगा. यह फैसला उन पेशेवरों को भी प्रभावित करेगा जो अपने एच1-बी वीज़ा को रेन्यू कराना चाहते थे.
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