लॉकडाउन के कारण शराब बंदी, राज्यों को 14,700 करोड़ रुपये का हो सकता है नुक़सान
कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण शराब की बिक्री से होने वाली कमाई थम गई है। यही वजह है कि राज्य सरकारें लॉकडाउन में शराब को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में शामिल करने की कोशिश में है लेकिन राजनीतिक और सामाजिक दबाव के कारण इसमें कठिनाई आ रही है। पंजाब में शराब को इसेंशियल कमोडिटीज़ की लिस्ट में शामिल किया गया था। लेकिन ग़ैरक़ानूनी रूप से इसकी सप्लाई शुरू हो गई। ऑटो वाले इसे घर-घर पहुँचाने लगे। मज़बूरी में इसपर रोक लगानी पड़ गई।
केरल सरकार ने डॉक्टर की सलाह के साथ शराब की बिक्री शुरू करने की कोशिशें ज़रूर की लेकिन सोशल मीडिया पर हंगामे के चलते सरकार को पीछे हटना पड़ा। सरकार के आदेश के बाद 265 दुकानों ने शराब की बिक्री शुरू करने की कोशिश की लेकिन विरोधों के कारण फिर से तालाबंदी कर दी गई। इसके अलावा पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ ने भी शराब की दुकानें खोलने की कोशिश की, लेकिन कोशिश नाकाम रही।
ऐसा नहीं है की ये राज्य सरकारें शराबियों का साथ देना चाहती हैं। सारा खेल अर्थव्यवस्था का है। सरकारें डरी हुई हैं। शराब की बिक्री पर रोक से राजस्व घाटा बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में जब टैक्स का एक एक पैसा अहमियत रखता है, एक अनुमान के मुताबिक़ रोज़ाना 700 करोड़ रूपये का नुकसान हो रहा है। पेट्रोलियम उत्पादों के बाद शराब की बिक्री राज्य के राजस्व का दूसरा बड़ा साधन है। मौजूदा समय में शराब और पेट्रोलियम दोनों ही जीएसटी के दायरे से बाहर हैं, इसलिए इनकी बिक्री से आने वाला पैसा राज्य सरकारों के खाते में जाता है। हालांकि राज्यों को शराब की बिक्री से ज़्यादा पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से ज़्यादा कमाई होती है। पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य सरकारें 15-20 प्रतिशत सेल्स टैक्स लगाती है जबकि जबकि शराब पर एक्साइज़ ड्यूटी लगभग 10-15 फीसदी है। अगर 2020 के आम बजट से पहले आरबीआई की गई राज्यों के वित्तीय रिपोर्ट पर ग़ौर करें, तो यह दर्शाता है कि राज्य सरकारों ने शराब पर टैक्स बढ़ाकर एक बड़ा राजस्व जमा किया है। साल 2017-18 और 2018-19 में कई राज्यों ने राजस्व की भरपाई के लिए शराब पर लगने वाले टैक्स में वृद्धि की है। साल 2017 में जहां 35 फीसदी राज्यों ने अपने राजस्व का 5-10 फीसदी हिस्सा शराब की बिक्री से की। वहीं एक साल के भीतर ये बढ़कर 10-15 फीसदी तक पहुंच गया। यही नहीं 27 फीसदी राज्य ऐसे हैं जो अपने राजस्व का 15-20 फीसदी हिस्सा शराब की बिक्री से कमा रहे हैं। कोरोना लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक प्रभावित राज्यों को ढूंढना मुश्किल नहीं है। स्टेटिस्टा के 2016 के एक अध्ययन के मुताबिक शराब से मिलने वाले राजस्व के मामले में तमिलनाडु, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश टॉप पांच राज्यों में शामिल है। जबकि केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली, ऐसे राज्य हैं जो शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व पर अत्यधिक निर्भर हैं क्योंकि इनके पास राजस्व कमाने का दूसरा इतना बड़ा साधन नहीं है।
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ऐसा नहीं है की ये राज्य सरकारें शराबियों का साथ देना चाहती हैं। सारा खेल अर्थव्यवस्था का है। सरकारें डरी हुई हैं। शराब की बिक्री पर रोक से राजस्व घाटा बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में जब टैक्स का एक एक पैसा अहमियत रखता है, एक अनुमान के मुताबिक़ रोज़ाना 700 करोड़ रूपये का नुकसान हो रहा है। पेट्रोलियम उत्पादों के बाद शराब की बिक्री राज्य के राजस्व का दूसरा बड़ा साधन है। मौजूदा समय में शराब और पेट्रोलियम दोनों ही जीएसटी के दायरे से बाहर हैं, इसलिए इनकी बिक्री से आने वाला पैसा राज्य सरकारों के खाते में जाता है। हालांकि राज्यों को शराब की बिक्री से ज़्यादा पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से ज़्यादा कमाई होती है। पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य सरकारें 15-20 प्रतिशत सेल्स टैक्स लगाती है जबकि जबकि शराब पर एक्साइज़ ड्यूटी लगभग 10-15 फीसदी है। अगर 2020 के आम बजट से पहले आरबीआई की गई राज्यों के वित्तीय रिपोर्ट पर ग़ौर करें, तो यह दर्शाता है कि राज्य सरकारों ने शराब पर टैक्स बढ़ाकर एक बड़ा राजस्व जमा किया है। साल 2017-18 और 2018-19 में कई राज्यों ने राजस्व की भरपाई के लिए शराब पर लगने वाले टैक्स में वृद्धि की है। साल 2017 में जहां 35 फीसदी राज्यों ने अपने राजस्व का 5-10 फीसदी हिस्सा शराब की बिक्री से की। वहीं एक साल के भीतर ये बढ़कर 10-15 फीसदी तक पहुंच गया। यही नहीं 27 फीसदी राज्य ऐसे हैं जो अपने राजस्व का 15-20 फीसदी हिस्सा शराब की बिक्री से कमा रहे हैं। कोरोना लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक प्रभावित राज्यों को ढूंढना मुश्किल नहीं है। स्टेटिस्टा के 2016 के एक अध्ययन के मुताबिक शराब से मिलने वाले राजस्व के मामले में तमिलनाडु, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश टॉप पांच राज्यों में शामिल है। जबकि केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली, ऐसे राज्य हैं जो शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व पर अत्यधिक निर्भर हैं क्योंकि इनके पास राजस्व कमाने का दूसरा इतना बड़ा साधन नहीं है।
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