महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे बोले, जेएनयू पर हमला मुंबई के आतंकी हमले जैसा
जेएनयू कैंपस में नक़ाबपोशों के हमले के लिए बीजेपी ने विपक्षी दलों को ज़िम्मेदार ठहराया है जबकि विपक्षी दलों ने इसे बर्बर और सुनियोजित हमला क़रार दिया है. जेएनयू पर हमले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है लेकिन क्या क्राइम ब्रांच इस मामले को सुलझा पाएगी, यह एक बड़ा सवाल है.
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में नक़ाबपोशों के हमले में जेएनयूएसयू अध्यक्ष आयशी घोष समेत 34 स्टूडेंट्स घायल हुए हैं. इनमें वाम समर्थित छात्रों के अलावा एबीवीपी के समर्थन वाले कुछ छात्र भी शामिल हैं और सभी स्टूडेंट्स को एम्स में इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है. दिल्ली पुलिस ने इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी है लेकिन सवाल उसकी भूमिका पर भी उठ रहे हैं. दिल्ली पुलिस से पूछा जा रहा है कि आख़िरी उसकी मौजूदगी में सभी हमलावर बचकर कैसे निकल गए.
हथियारबंद नक़ाबपोशों के इस हमले को जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने इसे सुनियोजित क़रार दिया है. उन्होंने जेएनयू प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाए. झारखंड की एक चुनावी रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों की पहचान उनके कपड़ों से की जा सकती है. येचुरी ने बिल्कुल उसी अंदाज़ में कहा कि जेएनयू में हमला करने वाले नक़ाबरोशों की पहचान उनके नारों से की जा सकती है. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने इस हमले की तुलना मुंबई हमले से की. उन्होंने कहा कि हमलावरों के चेहरों से नक़ाब हटने चाहिए. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नक़ाबपोशों के हमले की निंदा करते हुए जांच की बात कही लेकिन जांच होने से पहले ही इसके लिए कांग्रेस, लेफ्ट और आम आदमी पार्टी को ज़िम्मेदार ठहरा दिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया की जेएनयू में 2016 में देश विरोधी नारे लगे थे लेकिन केजरीवाल सरकार उनपर कार्रवाई करने की इजाज़त नहीं दे रही है। ये भी देखिये हमलावर नक़ाबपोशों से जुड़े तमाम सबूत सोशल मीडिया में वायरल हो गए हैं. सवाल यह है कि क्या दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले को सुलझा पाएगी क्योंकि हाई प्रोफाइल मामलों में उसका रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. ऐसा कई बार हुआ है कि कई अहम मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई जिसे वो सुलझा नहीं सकी. अक्टूबर 2016 में जेएनयू से लापता हुए स्टूडेंट नजीब अहमद का पता लगाने में भी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच नाकाम साबित हुई थी.
हथियारबंद नक़ाबपोशों के इस हमले को जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने इसे सुनियोजित क़रार दिया है. उन्होंने जेएनयू प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाए. झारखंड की एक चुनावी रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों की पहचान उनके कपड़ों से की जा सकती है. येचुरी ने बिल्कुल उसी अंदाज़ में कहा कि जेएनयू में हमला करने वाले नक़ाबरोशों की पहचान उनके नारों से की जा सकती है. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने इस हमले की तुलना मुंबई हमले से की. उन्होंने कहा कि हमलावरों के चेहरों से नक़ाब हटने चाहिए. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने नक़ाबपोशों के हमले की निंदा करते हुए जांच की बात कही लेकिन जांच होने से पहले ही इसके लिए कांग्रेस, लेफ्ट और आम आदमी पार्टी को ज़िम्मेदार ठहरा दिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया की जेएनयू में 2016 में देश विरोधी नारे लगे थे लेकिन केजरीवाल सरकार उनपर कार्रवाई करने की इजाज़त नहीं दे रही है। ये भी देखिये हमलावर नक़ाबपोशों से जुड़े तमाम सबूत सोशल मीडिया में वायरल हो गए हैं. सवाल यह है कि क्या दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले को सुलझा पाएगी क्योंकि हाई प्रोफाइल मामलों में उसका रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. ऐसा कई बार हुआ है कि कई अहम मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई जिसे वो सुलझा नहीं सकी. अक्टूबर 2016 में जेएनयू से लापता हुए स्टूडेंट नजीब अहमद का पता लगाने में भी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच नाकाम साबित हुई थी.
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