स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सबसे पीछे: रिपोर्ट
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सबसे पीछे है भारत
National Health Profile 2019 की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 10 साल में सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में होने वाले ख़र्च में सिर्फ 0.16% फ़ीसदी की बढ़ोतरी की है. साल 2009 में पब्लिक हेल्थ पर GDP का 1.12% हिस्सा खर्च होता था जिसमें दस साल में बेहद मामूली बढ़त हुई और 2019 में यह सिर्फ 1.28% हो पाया है। यानि सरकार अपने नागरिकों के स्वास्थ्य पर तय लक्ष्य से लगभग आधा ख़र्च करती है।
कई सालों से सरकार का स्वास्थ्य सेवा पर ख़र्च का लक्ष्य जीडीपी का 2.5 फ़ीसदी हिस्सा है। आसान शब्दों में कहें तो सरकार साल 2009-10 में एक नागरिक के स्वास्थ्य पर 621 रुपए ख़र्च करती थी और 10 सालों के बाद 1,657 रुपए ख़र्च कर रही है। मगर इन्हीं वर्षों में देश में इलाज इतना महंगा हो चुका है कि आम आदमी ख़र्च को आसानी से नहीं उठा सकता। पहले के मुक़ाबले इलाज करना मुश्किल हुआ है।
वीडियो देखिये वहीं भारत के मुक़ाबले अन्य देशों में नागरिकों के स्वास्थ्य पर होने वाला ख़र्च कहीं ज़्यादा है। अमेरिका अपने एक नागरिक के स्वास्थ्य पर 8,078 ख़र्च करता है। इसी तरह China 6716, Norway 6,366, Switzerland 6,175, Sweden 4,769, Denmark 4,682, Japan 3,538 और South Korea 1,209 डॉलर खर्च करता है। एक अरब से ज़्यादा की आबादी वाले देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की हालत किसी से छिपी नहीं है लेकिन इन आंकड़ों से पता चलता है कि स्वास्थ्य सेवा में सुधार सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।
वीडियो देखिये वहीं भारत के मुक़ाबले अन्य देशों में नागरिकों के स्वास्थ्य पर होने वाला ख़र्च कहीं ज़्यादा है। अमेरिका अपने एक नागरिक के स्वास्थ्य पर 8,078 ख़र्च करता है। इसी तरह China 6716, Norway 6,366, Switzerland 6,175, Sweden 4,769, Denmark 4,682, Japan 3,538 और South Korea 1,209 डॉलर खर्च करता है। एक अरब से ज़्यादा की आबादी वाले देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की हालत किसी से छिपी नहीं है लेकिन इन आंकड़ों से पता चलता है कि स्वास्थ्य सेवा में सुधार सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।
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