भारत चीन तनाव के बीच हुआवेई करेगा भारत से आधे कर्मचारियों की छंटनी
भारत-चीन के बीच जारी तनातनी के बीच कारोबार की दुनिया में सुस्ती बढ़ती जा रही है. टिकटॉक और यूसी ब्राउज़र जैसे 59 चीनी मोबाइल एप्लीकेशंस पर पाबंदी लगाने से नौकरियों पर संकट टला नहीं था कि अब एक और बुरी ख़बर ने दस्तक दे दी है. आशंका है कि भारत चीनी कंपनियों हुआवेई और जेडटीई को टेलीकॉम ऑपरेटर को दी जाने वाली सप्लाई रोकेगा. ऐसा हुआ तो हुआवेई की कमाई को तगड़ा झटका लगना तय है जो भारती एयरटेल के नेटवर्क को एक तिहाई और वोडाफोन आइडिया के नेटवर्क को 40 फ़ीसदी उपकरण की सप्लाई करता है.
इससे निपटने के लिए चीनी टेक दिग्गज हुआवेई ने भारत में 2020 के लिए अपने राजस्व लक्ष्य को 50 प्रतिशत तक कम कर दिया है और भारतीय कार्यालयों में अपने आधे से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करेगा. हुआवेई को जहां साल 2020 में 700-800 मिलियन डॉलर की राजस्व कमाई होने की उम्मीद थी जो घटकर 350 से 500 मिलियन डॉलर रह गए हैं.
कंपनी को आगे चलाने के लिए फ़िलहाल आधे कर्मचारियों से काम चलाया जायेगा लेकिन रिसर्च और ग्लोबल सर्विस सेंटर में काम करने वाले लोगों को जो का त्यों रखा जायेगा. एक अनुमान के मुताबिक हुआवेई की भारत इकाई में लगभग 700 लोग काम करते हैं और इसके अलावा थर्ड पार्टी पेरोल के माध्यम से कंपनी अन्य सैकड़ों लोगों को रोज़गार देती है. केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालय और राज्य सरकारें चीनी कंपनियों का दबदबा कम करने के लिए इस तरह के तमाम क़दम उठा रही हैं. सबसे बड़ी कार्रवाई 59 चीनी मोबाइल एप्लीकेशंस को प्रतिबंधित करने के रूप में देखा जा रहा है. इस तरह की कार्रवाइयों से उन हज़ारों भारतीय युवाओं को झटका लगा है जो इन कंपनियों में नौकरी कर रहे थे. देर सबेर उनकी नौकरियां में कटौती होना तय है.
कंपनी को आगे चलाने के लिए फ़िलहाल आधे कर्मचारियों से काम चलाया जायेगा लेकिन रिसर्च और ग्लोबल सर्विस सेंटर में काम करने वाले लोगों को जो का त्यों रखा जायेगा. एक अनुमान के मुताबिक हुआवेई की भारत इकाई में लगभग 700 लोग काम करते हैं और इसके अलावा थर्ड पार्टी पेरोल के माध्यम से कंपनी अन्य सैकड़ों लोगों को रोज़गार देती है. केंद्र सरकार के तमाम मंत्रालय और राज्य सरकारें चीनी कंपनियों का दबदबा कम करने के लिए इस तरह के तमाम क़दम उठा रही हैं. सबसे बड़ी कार्रवाई 59 चीनी मोबाइल एप्लीकेशंस को प्रतिबंधित करने के रूप में देखा जा रहा है. इस तरह की कार्रवाइयों से उन हज़ारों भारतीय युवाओं को झटका लगा है जो इन कंपनियों में नौकरी कर रहे थे. देर सबेर उनकी नौकरियां में कटौती होना तय है.
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