योगी पर एफ़आईआर के लिए अदालत जाने वाले शख़्स परवेज़ को गैंगरेप के मामले में उम्रक़ैद
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर ज़िला अदालत ने एक सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ परवाज़ को गैंगरेप के मामले में उम्रकैद की सज़ा सुनाई है. 65 साल के परवेज़ के साथ एक 66 साल के महमूद उर्फ जुम्मन बाबा को भी कथित एक गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सज़ा दी गई है। परवेज़ वही शख़्स हैं जिन्होंने साल 2007 में योगी आदित्यनाथ पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए इलाहाबद हाई कोर्ट में अर्ज़ी लगाई थी.
उत्तर प्रदेश के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ तब गोरखपुर से भाजपा सांसद थे। फरवरी 2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में योगी के ख़िलाफ मुकदमा चलाने की इजाज़त नहीं दी थी जिसके ख़िलाफ़ एक्टिविस्ट परवेज़ ने हाई कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी थी. इस बीच यूपी में सत्ता बदली और कमान योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच गई और परवेज़ के ख़िलाफ़ गोरखपुर पुलिस में एक महिला ने रेप का एक मुक़दमा दर्ज करवा दिया. महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
महिला ने आरोप लगाया था कि अपनी वैवाहिक समस्याओं के इलाज के लिए वो 3 जून 2018 को जुम्मन बाबा के घर गई थीं। वहीं से जुम्मन उसे एकांत जगह पर ले गए और बंदूक की नोक पर बालात्कार किया। महिला ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि वहां एक और शख़्स मौजूद था जिसे जुम्मन ‘परवेज़ भाई’ कहकर पुकार रहे थे। मामले में महिला की तरफ कोर्ट में पेश सरकारी वकील यशपाल सिंह ने बताया, ‘मंगलवार को ज़िला अदालत के जज गोविंद वल्लभ शर्मा ने दो आरोपियों (परवेज़ और जुम्मन) को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर 25-25 हज़ार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही अदालत ने जुर्माने की रक़म से 40 हज़ार रूपये पीड़ित महिला को दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं।’ उधर परवेज़ के वकील मिफताहुल इस्लाम का कहना है कि वो इस सज़ा के ख़िलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि अदलात ने बचाव में लिखित दलीलें पेश किए बिना ही सज़ा पर मुहर लगा दी। परवेज़ के वकील का कहना है, ‘बिना बहस के ही सज़ा सुना दी गई है। अदालत के सामने इस मामले पर कोई बहस नहीं हुई और हमें दलील देने का मौक़ा भी नहीं मिला।’ बता दें कि मार्च 2017 में राज्य में बीजेपी की सरकार बनी और गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी मिली। तब राज्य की योगी सरकार ने खुद 2007 के हेट स्पीच मामले में ‘योगी आदित्यनाथ’ और चार अन्य भाजपा विधायक को क्लीन चिट दे दी और मामले में मुकदमा चलाने की मंज़ूरी नहीं दी। इसके पीछे योगी सरकार का का कहना था कि फॉरेंसिक लैब में वीडियो की जांच करवाने से पता चला है कि वीडियों में छेड़छाड़ की गई थी।
महिला ने आरोप लगाया था कि अपनी वैवाहिक समस्याओं के इलाज के लिए वो 3 जून 2018 को जुम्मन बाबा के घर गई थीं। वहीं से जुम्मन उसे एकांत जगह पर ले गए और बंदूक की नोक पर बालात्कार किया। महिला ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि वहां एक और शख़्स मौजूद था जिसे जुम्मन ‘परवेज़ भाई’ कहकर पुकार रहे थे। मामले में महिला की तरफ कोर्ट में पेश सरकारी वकील यशपाल सिंह ने बताया, ‘मंगलवार को ज़िला अदालत के जज गोविंद वल्लभ शर्मा ने दो आरोपियों (परवेज़ और जुम्मन) को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर 25-25 हज़ार रूपये का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही अदालत ने जुर्माने की रक़म से 40 हज़ार रूपये पीड़ित महिला को दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं।’ उधर परवेज़ के वकील मिफताहुल इस्लाम का कहना है कि वो इस सज़ा के ख़िलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि अदलात ने बचाव में लिखित दलीलें पेश किए बिना ही सज़ा पर मुहर लगा दी। परवेज़ के वकील का कहना है, ‘बिना बहस के ही सज़ा सुना दी गई है। अदालत के सामने इस मामले पर कोई बहस नहीं हुई और हमें दलील देने का मौक़ा भी नहीं मिला।’ बता दें कि मार्च 2017 में राज्य में बीजेपी की सरकार बनी और गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी मिली। तब राज्य की योगी सरकार ने खुद 2007 के हेट स्पीच मामले में ‘योगी आदित्यनाथ’ और चार अन्य भाजपा विधायक को क्लीन चिट दे दी और मामले में मुकदमा चलाने की मंज़ूरी नहीं दी। इसके पीछे योगी सरकार का का कहना था कि फॉरेंसिक लैब में वीडियो की जांच करवाने से पता चला है कि वीडियों में छेड़छाड़ की गई थी।
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