असम में सैलाब से तबाही का पिछला रिकॉर्ड टूटा, केंद्र और राज्य सरकारों ने नहीं लिया सबक
पूर्वोत्तर के राज्य असम में लाखों की आबादी तक़रीबन एक महीने से बाढ़ की मार झेल रही है. असम स्टेट डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक़ अबतक 56 लाख 71 हज़ार से ज़्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं और पिछले साल 2019 में 52 लाख 59 हज़ार से ज़्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे। गोआलपाड़ा, बरपेटा, ढुबरी, साउथ सलमारा और कामरूप में हालात बद से बदतर हुए हैं. हालांकि बाढ़ का पानी अब खिसकने लगा है और 27 जुलाई की बुलेटिन के मुताबिक़ अभी भी राज्य के 22 ज़िलों में 22 लाख 34 हज़ार लोग बाढ़ की चपेट में हैं.
पिछले साल भी असम में सैलाब से इसी तरह की तबाही मची थी. गृह मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल असम में बाढ़ से 32 ज़िलों में तबाही मची थी. आंकड़े बताते हैं कि इस साल असम में बाढ़ पिछले साल से ज़्यादा भयावह है. इस बार अब तक 103 जानें सैलाब में जा चुकी हैं जबकि लैंडस्लाइड्स से 26 लोग मारे गए हैं.
असम में साल दर साल आ रही बाढ़ से इंसानी ज़िंदगियां मुश्किल में पड़ती ही हैं. किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. असम सरकार के 27 जुलाई 2020 के बुलेटिन के मुताबिक़ इस साल अबतक 2,58,312 हेक्टेयर की फसलें बर्बाद हुई हैं जबकि पिछले साल 2019 में एक लाख 63 हज़ार हेक्टेयर से भी ज़्यादा की फसलें बाढ़ में तबाह हो गई थीं. बाढ़ की तबाही की वजह से बेघर हुए लोगों के खाने के लिए इस साल अबतक 615 रिलीफ कैंप लगाने पड़े। ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ 22 ज़िलों में अब भी 259 रिलीफ कैंप चल रहे हैं और करीब 46 हज़ार लोगों को खाने-पीने की मदद दी जा रही है। जबकि पिछले साल 2019 में 1 हज़ार 357 राहत शिविर बनाए गए थे जहां 5 लाख 35 हज़ार लोगों को शरण लेनी पड़ी थी. पिछले साल की बाढ़ जानवरों के लिए भी आफ़त लेकर आई थी. आंकड़ों के मुताबिक इस साल राज्य में 129 जानवरों की मौत हो चुकी है जिनमें 14 गैंडे, 95 हॉग हिरण, पांच जंगली भैंस और दो स्वैंप हिरण शामिल हैं. वहीं साल 2019 में आई बाढ़ में 200 से ज़्यादा जानवरों की मौत हुई थी जिनमें 17 गैंडे, 112 हॉग हिरण, 12 सांबर हिरण, सात स्वैंप हिरण शामिल थे. इन आंकड़ों से साफ है कि केंद्र और राज्य सरकार ने पिछले साल आई बाढ़ से ना तो सबक लिया और ना ही तैयारी की जिसके चलते इस बार सैलाब से जानमाल का ख़ासा नुकसान हुआ है.
असम में साल दर साल आ रही बाढ़ से इंसानी ज़िंदगियां मुश्किल में पड़ती ही हैं. किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. असम सरकार के 27 जुलाई 2020 के बुलेटिन के मुताबिक़ इस साल अबतक 2,58,312 हेक्टेयर की फसलें बर्बाद हुई हैं जबकि पिछले साल 2019 में एक लाख 63 हज़ार हेक्टेयर से भी ज़्यादा की फसलें बाढ़ में तबाह हो गई थीं. बाढ़ की तबाही की वजह से बेघर हुए लोगों के खाने के लिए इस साल अबतक 615 रिलीफ कैंप लगाने पड़े। ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ 22 ज़िलों में अब भी 259 रिलीफ कैंप चल रहे हैं और करीब 46 हज़ार लोगों को खाने-पीने की मदद दी जा रही है। जबकि पिछले साल 2019 में 1 हज़ार 357 राहत शिविर बनाए गए थे जहां 5 लाख 35 हज़ार लोगों को शरण लेनी पड़ी थी. पिछले साल की बाढ़ जानवरों के लिए भी आफ़त लेकर आई थी. आंकड़ों के मुताबिक इस साल राज्य में 129 जानवरों की मौत हो चुकी है जिनमें 14 गैंडे, 95 हॉग हिरण, पांच जंगली भैंस और दो स्वैंप हिरण शामिल हैं. वहीं साल 2019 में आई बाढ़ में 200 से ज़्यादा जानवरों की मौत हुई थी जिनमें 17 गैंडे, 112 हॉग हिरण, 12 सांबर हिरण, सात स्वैंप हिरण शामिल थे. इन आंकड़ों से साफ है कि केंद्र और राज्य सरकार ने पिछले साल आई बाढ़ से ना तो सबक लिया और ना ही तैयारी की जिसके चलते इस बार सैलाब से जानमाल का ख़ासा नुकसान हुआ है.
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