1984 सिख विरोधी दंगों में मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ी
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम और कर्नाटक कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले डी शिवकुमार के बाद अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ती नज़र आरही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों को फिर से खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस बात का खुलासा किया है। मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्वीट किया कि अकाली दल के लिए एक बड़ी जीत। 1984 में सिखों के नरसंहार में कमलनाथ के कथित तौर पर शामिल होने के मामलों को एसआईटी दोबारा खोलने जा रही है।
विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि कमलनाथ ने कथित तौर पर सात मामलों में से एक में आरोपी पांच लोगों को कथित तौर पर शरण दी थी। सिरसा ने ये भी बताया कि नयी दिल्ली के संसद मार्ग थाने में दर्ज प्राथमिकी में कमलनाथ का नाम कभी नहीं आया। एफआईआर संख्या-601/84 में आरोपी के तौर पर नामित पांच लोगों को कमलनाथ के आवास में ठहराया गया था। इन सभी आरोपियों को साक्ष्यों के आभाव में बरी कर दिया गया था। सिरसा ने दावा किया कि एसआईटी अब क्योंकि इस मामले की भी फिर से जांच करेगी, दो गवाह एसआईटी के समक्ष पेश होंगे जहां वे दंगों में कमलनाथ की भूमिका के बारे में बताएंगे। मजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि उनहोंने दोनों गवाहों से बात की है और वे एसआईटी के समक्ष अपने बयान दर्ज कराने के लिये तैयार हैं। यह मामला दंगाइयों की एक भीड़ के यहां गुरद्वारा रकाबगंज साहिब में घुसने से संबंधित है। कमलनाथ पूर्व में आरोपों से इनकार कर चुके हैं। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक एसआईटी ने समीक्षा या प्रारंभिक जांच के लिये उन मामलों को लिया है जिसमें आरोपी बरी हुए थे। कमलनाथ पर आरोप है कि सेंट्रल दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे के बाहर भीड़ का नेतृत्व किया था और उनकी उपस्थिति में दो सिख मारे गए थे। हालाँकि कमलनाथ ने यह स्वीकार किया था कि वह वहां मौजूद थे लेकिन वो भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहे थे। सज्जन कुमार को इसके एक मामले में दोषी भी ठहराया गया है। बीते साल, दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगों के सिलसिले में 88 लोगों की सजा को बरकरार रखा था।
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विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि कमलनाथ ने कथित तौर पर सात मामलों में से एक में आरोपी पांच लोगों को कथित तौर पर शरण दी थी। सिरसा ने ये भी बताया कि नयी दिल्ली के संसद मार्ग थाने में दर्ज प्राथमिकी में कमलनाथ का नाम कभी नहीं आया। एफआईआर संख्या-601/84 में आरोपी के तौर पर नामित पांच लोगों को कमलनाथ के आवास में ठहराया गया था। इन सभी आरोपियों को साक्ष्यों के आभाव में बरी कर दिया गया था। सिरसा ने दावा किया कि एसआईटी अब क्योंकि इस मामले की भी फिर से जांच करेगी, दो गवाह एसआईटी के समक्ष पेश होंगे जहां वे दंगों में कमलनाथ की भूमिका के बारे में बताएंगे। मजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि उनहोंने दोनों गवाहों से बात की है और वे एसआईटी के समक्ष अपने बयान दर्ज कराने के लिये तैयार हैं। यह मामला दंगाइयों की एक भीड़ के यहां गुरद्वारा रकाबगंज साहिब में घुसने से संबंधित है। कमलनाथ पूर्व में आरोपों से इनकार कर चुके हैं। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक एसआईटी ने समीक्षा या प्रारंभिक जांच के लिये उन मामलों को लिया है जिसमें आरोपी बरी हुए थे। कमलनाथ पर आरोप है कि सेंट्रल दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे के बाहर भीड़ का नेतृत्व किया था और उनकी उपस्थिति में दो सिख मारे गए थे। हालाँकि कमलनाथ ने यह स्वीकार किया था कि वह वहां मौजूद थे लेकिन वो भीड़ को शांत करने की कोशिश कर रहे थे। सज्जन कुमार को इसके एक मामले में दोषी भी ठहराया गया है। बीते साल, दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगों के सिलसिले में 88 लोगों की सजा को बरकरार रखा था।
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