उत्तराखंड: गौला नदी के किनारे बसे मज़दूरों की पुकार, हमारी भूख मिटाओ

by Deepak Pokharia 3 years ago Views 1797

Uttarakhand: The cry of the workers settled on the
कोरोना से मौत का डर नहीं है, अब डर है तो भूख, प्यास से मरने का। रहने को छत ना हो तो कोई बात नहीं लेकिन भूख मिटाने के लिए रोटी चाहिए ही होती है। उत्तराखंड के हलद्वानी में प्रवासी मज़दूर अपने 1-1 महीने के दुधमुहे बच्चों के साथ जूझ रहे हैं जिनके लिए दूध तक का इंतज़ाम नहीं हो पा रहा। 

हल्द्वानी के प्रवासी मज़दूरों के सवाल कई हैं, लेकिन जवाब नदारद। ना काम मिल रहा और ना ही पैसा। घर जाना भी सपना बनकर रह गया है। मज़दूरों का आरोप है कि लॉकडाउन के बाद से प्रशासन ने सिर्फ 2 बार कच्चा राशन बांटा।


गुहार लगाते मज़दूर यूपी ज़िले के मज़दूर हैं जो गौला नदी में खनन मज़दूरी करते हैं। गौला उत्तराखंड सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाली नदी है और 4 लाख लोगों की प्यास बुझाती है लेकिन लॉकडाउन में उसका साथ भी छूट चुका है।

वीडियो देखिए

इस नदी किनारे उत्तरप्रदेश के अलग अलग जिलों के सैकड़ों परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं। खाने के संकट के चलते इन लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाया तो कुछ मदद मिली जो ऊंट के मुंह में ज़ीरा साबित हुआ। 

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