क्या नई शिक्षा नीति से छात्रों में बढ़ती ख़ुदकुशी में कमी आएगी?

by Rahul Gautam 3 years ago Views 1847

Will the new education policy reduce the increase
नई शिक्षा नीति के ऐलान के बाद केंद्र सरकार दावा कर रही है कि इससे छात्रों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा। इसका असर ज़मीन पर कितना पड़ेगा, अभी यह बता पाना मुश्किल है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि साल दर साल खुदखुशी करने वालो छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि देश में साल 2018 में हर रोज़ लगभग 27 बच्चों ख़ुदकुशी की. सरल शब्दों में कहा जाए तो हर घंटे एक से ज़्यादा छात्र ने अपनी ज़िंदगी ख़त्म कर ली. आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में 9 हज़ार 478 छात्रों ने आत्महत्या की जो 2017 में आंकड़ा बढ़कर 9 हज़ार 905 हो गया और साल 2018 में ख़ुदकुशी का यह आंकड़ा 10 हज़ार 159 तक पहुंच गया.


इन आंकड़ों से पता चलता है कि कई राज्यों में खुदखुशी के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. मसलन तमिलनाडु में 2017 में 810 छात्रों ने अपनी ज़िंदगी ख़त्म की लेकिन अगले ही साल 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 934 पर पहुंच गया. इसी तरह उत्तर प्रदेश में 2017 में 436 छात्रों ने आत्महत्या की जो 2018 में बढ़कर 513 हो गया. ओडिशा में साल 2017 में 361 छात्रों ने अपनी जान दी और 2018 में यह आंकड़ा 501 पर पहुंच गया. झारखण्ड में 2017 में 299 छात्रों ने जीवन समाप्त किया तो 2018 में 360 छात्रों ने अपनी जान दे दी. छत्तीसगढ़ में 524 छात्रों ने खुदखुशी की तो अगले ही साल ये आंकड़ा 603 हो गया. महाराष्ट्र में 1437 छात्रों ने आत्महत्या की और 2018 में आंकड़ा 1448 पर पहुंच गया। बता दें कि देश में सबसे ज्यादा छात्र अपनी जान महाराष्ट्र में ही देते हैं.

राहत की बात यह है कि कुछ राज्यों में खुदखुशी की घटनायें कम भी हुई हैं. जैसे की मध्य प्रदेश में 2017 में 953 से आंकड़ा घटकर 862 हो गया. इसी तरह तेलंगाना में 504 बच्चों ने 2017 में अपनी जान दी और 2018 में ये आंकड़ा घटकर 428 हो गया.

ज़ाहिर है देश में बहुत बड़ी संख्या में अपनी जान ले रहे हैं और ऐसे में नई शिक्षा नीति पर सबकी नज़र लगी है कि क्या इससे देश के नौनिहालों की मौत का आंकड़ा नीचे आएगा.

Latest Videos

Latest Videos

Facebook Feed