पांच साल में 18,455 नए नागरिक बने मगर साढ़े पांच लाख ने नागरिकता छोड़ी: संसद 

by Rahul Gautam 4 years ago Views 2147

18,455 new citizens become citizens in five years,
नागरिकता संशोधन क़ानून लाकर केंद्र सरकार पड़ोसी देशों में धर्म के आधार पर सताए गए लोगों को भारत की नागरिकता देना चाहती है लेकिन हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. गृह मंत्रालय के नए आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 सालों में पडोसी देशो के 3076 लोगो को भारत की नागरिकता दी है लेकिन इसी दौरान 5 लाख 84 हज़ार से ज्यादा लोगो ने भारत की नागरिकता छोड़ दी.

संसद में पेश सरकारी आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार ने 5 सालों में पांच पड़ोसी देशों के 3076 लोगों को भारत की नागरिकता दी है लेकिन इसी दौरान 5 लाख 84 हज़ार 364 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में 1 लाख 15 हज़ार 4, 2016 में 1 लाख 32 हज़ार 445, 2017 में 1 लाख 6 हज़ार 72 , 2018 में 1 लाख 19 हज़ार 599, और 2019 में 1 लाख 11 हज़ार 244 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। 


नागरिकता छोड़ने वाले सबसे ज्यादा भारतीयों की पसंद अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया रहे.  2015 से 2019 के बीच 2 लाख 56 हज़ार 913 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़कर अमेरिका में बस गए। इसी तरह पिछले 5 साल में ऑस्ट्रेलिया में 1 लाख 560, कनाडा में 94,874, यूनाइटेड किंगडम में 35, 359 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़कर बस गए.

यानि पिछले पांच साल में भारत की नागरिकता छोड़ने वाले 5 लाख 84 हज़ार 364 लोगों में से 4 लाख 87 हज़ार 706 लोग अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम में बस गए। इनके अलावा सिंगापुर, मलेशिया, जर्मनी जैसे देशों में बसने के लिए भी भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है.

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इसके मुकाबले भारत में पड़ोसी देशों से आए बेहद कम लोगों ने भारत की नागरिकता ली। इनमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार शामिल हैं। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2015 से 2019 के बीच 3076 लोगों ने भारत की नागरिकता ली. इनके अलावा 2015 में भारत-बांग्लादेश भूमि समझौता के तहत 14,864 बांग्लादेशी मूल के लोगों को भी एक मुश्त भारत की नागरिकता दी गई थी. 

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