केरल में पहली बार देखी गई बाम मछली की तरह दिखने वाली मछली, नाम दिया गया है भुजिया
केरल में शोधकर्ताओं ने मछली की नई प्रजाति ढूंढी है. 3.5 सेंटीमीटर लंबी और 3 मिलीमीटर चौड़ी ये नन्हीं मछली बाम मछली की तरह दिखती है. शोधकर्ताओं ने इसे भुजिया नाम दिया है क्योंकि ये आकार में भुजिया सेव जैसी दिखती है.
ये मछली कोझीकोड़ के एक ग्राफिक डिज़ाइनर विष्णु दास ने सबसे पहले देखी. उन्होंने बाथरूम में पानी का टैप खोला तो बाल्टी में पानी के साथ-साथ ये मछली भी आ गिरी.
मछली के शौकीन विष्णु दास ने उसकी तस्वीर लेकर केरला यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज़ एंड ओशियन स्टडीज़ में भेज दिया. यहां शोधकर्ताओं ने बताया कि बाम मछली की तरह दिखने वाली ये मछली पानी की तेज़ धारा में पाई जाती है. दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया, इंडोनेशिया के अलावा इसकी कुछ प्रजाति भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में भी मिलती है लेकिन केरल में इसे पहली बार देखा गया है. इसके बाद शोधकर्ताओं ने विष्णु दास के घर से दूर एक कुआं ढूंढा जिसके पानी का इस्तेमाल धान की खेती के लिए किया जाता है. इस कुएं में इस अनोखी प्रजाति की 15 और मछलियां मिलीं. वीडियो देखिये शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि बाम मछली की ये प्रजाति अंडरग्राउंड वॉटर में मिली है. शुरुआती नतीजों के बाद शोधकर्ताओं की एक बड़ी टीम इसके बारे में और जानकारी जुटाने में लग गई है. इनमें केरला यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज़ एंड ओशियन स्टडीज़ के अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, मालाबार अवेयरनेस एंड रेस्क्यू सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ़ और नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम, लंदन के शोधकर्ता शामिल हैं.
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मछली के शौकीन विष्णु दास ने उसकी तस्वीर लेकर केरला यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज़ एंड ओशियन स्टडीज़ में भेज दिया. यहां शोधकर्ताओं ने बताया कि बाम मछली की तरह दिखने वाली ये मछली पानी की तेज़ धारा में पाई जाती है. दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया, इंडोनेशिया के अलावा इसकी कुछ प्रजाति भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में भी मिलती है लेकिन केरल में इसे पहली बार देखा गया है. इसके बाद शोधकर्ताओं ने विष्णु दास के घर से दूर एक कुआं ढूंढा जिसके पानी का इस्तेमाल धान की खेती के लिए किया जाता है. इस कुएं में इस अनोखी प्रजाति की 15 और मछलियां मिलीं. वीडियो देखिये शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि बाम मछली की ये प्रजाति अंडरग्राउंड वॉटर में मिली है. शुरुआती नतीजों के बाद शोधकर्ताओं की एक बड़ी टीम इसके बारे में और जानकारी जुटाने में लग गई है. इनमें केरला यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज़ एंड ओशियन स्टडीज़ के अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, मालाबार अवेयरनेस एंड रेस्क्यू सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ़ और नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम, लंदन के शोधकर्ता शामिल हैं.
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