राजस्थान: पुष्कर मेले में ऊंटो की तादाद में लगातार हो रही गिरावट
आज के इस आधुनिक युग में ऊंटो के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. रेगिस्तान का जहाज ऊंट आज के इस आधुनिक युग में शायद अपनी रफ्तार पकड़ने में ना कामयाब हो रहा है. अब हालात ये हो चुके हैं कि दुनियाभर में मशहूर पुष्कर मेले में आने वाले पर्यटको के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहने वाले ऊंटो की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. जिसे देखकर ऐसा लगता है कि अगर यही हालात रहे तो कहीं आने वालें सालों में पुष्कर मेले की शान ऊंट मेले से गायब ना हो जाए.
पुष्कर मेले में साल 2007 से पहले ऊंट काफी तदाद में बिकने के लिए आया करते थे. साल 2007 के बाद ऊंटो की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. साल 2001 में बिकने के लिए आने वाले ऊंटो की संख्या 15460 थी. वहीं साल 2018 ये संख्या 3954 थी और साल 2019 में 2981 ऊंट बिकने के लिए आये हैं. 2007 के बाद ऊंटो की संख्या में 66 फीसदी की गिरावट आई है.
वीडियो देखें: ऊंट को साल 2014 में राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया था. जिसके बाद ऊंट की ब्रिकी पर पशुपालन विभाग ने कई तरह की बंदिशे लगा दी है.और राज्य से बाहर ऊंट ले जाने पर पाबंदी है. जिसकी वजह से बाहर से आने वाले व्यापारियों का यहां आना बंद हो गया. पहले पुश्कर मेले में यूपी,हरियाणा, और गुजरात से व्यापारी इनकी खरीद -फरोख्त के लिए आया करते थे. वहीं पशुपालकों की माने तो ऊंटो को पालना बहुत मुश्किल होता है.उनके लिए चारा जुटाना बहुत मुश्किल होता है.बेचने पर भी उन्हें सही कीमत नहीं मिलती. ऐसे में पशुपालकों ने अपने ऊंट पालन छोड़ दिया है.और अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनो में कहीं पुष्कर मेले से ऊंट नदारत ना हो जाएं.
वीडियो देखें: ऊंट को साल 2014 में राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया था. जिसके बाद ऊंट की ब्रिकी पर पशुपालन विभाग ने कई तरह की बंदिशे लगा दी है.और राज्य से बाहर ऊंट ले जाने पर पाबंदी है. जिसकी वजह से बाहर से आने वाले व्यापारियों का यहां आना बंद हो गया. पहले पुश्कर मेले में यूपी,हरियाणा, और गुजरात से व्यापारी इनकी खरीद -फरोख्त के लिए आया करते थे. वहीं पशुपालकों की माने तो ऊंटो को पालना बहुत मुश्किल होता है.उनके लिए चारा जुटाना बहुत मुश्किल होता है.बेचने पर भी उन्हें सही कीमत नहीं मिलती. ऐसे में पशुपालकों ने अपने ऊंट पालन छोड़ दिया है.और अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनो में कहीं पुष्कर मेले से ऊंट नदारत ना हो जाएं.
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