नागरिकता क़ानून: जर्मन स्टूडेंट के बाद अब नॉर्वे की टूरिस्ट को देश निकाला
नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शनो में हिस्सा लेने पर एक जर्मन स्टूडेंट जैकब के बाद अब एक और विदेशी नागरिक जेन जॉनसन को भारत छोड़ने के लिए कहा गया है. 71 साल की जेन जॉनसन नॉर्वे से भारत घूमने के लिए आई थीं.
नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की क़ीमत विदेशी नागरिकों को भी चुकानी पड़ रही है. जर्मन छात्र जैकब के बाद अब नॉर्वे की एक टूरिस्ट जेन जॉनसन को तत्काल भारत छोड़ने के लिए कहा गया है.
71 साल की जेन जॉनसन 23 दिसंबर को कोच्चि में 12 किलोमीटर लंबे नागरिकता क़ानून विरोधी मार्च में शामिल हुई थीं. इसके बाद 27 दिसंबर की सुबह फॉरेनर्स रिजनल रजिस्ट्रेशन ऑफ़िसर की टीम फोर्ट कोच्चि में उनके होटल पहुंची और पूछताछ के बाद तत्काल भारत छोड़ने के लिए कहा. जेनी के मुताबिक तत्काल भारत नहीं छोड़ने पर अफ़सरों ने कार्रवाई की धमकी भी दी. जेनी ने फेसबुक पर लिखा, ‘कुछ घंटे पहले ब्यूरो ऑफ़ इमिग्रेशन के अधिकारी दोबारा उनके होटल पहुंचे. मुझसे भारत छोड़ने या क़ानून कार्रवाई का सामना करने के लिए कहा गया. मैंने इसकी वजह पूछी और भारत छोड़ने का आदेश लिखित में मांगा. मगर मुझसे कहा गया कि लिखित में कुछ भी नहीं मिलेगा. इमिग्रेशन अधिकारी मुझे तब तक छोड़ने को तैयार नहीं हैं जब तक मैं अपना फ्लाइट टिकट नहीं करवा लेती. जल्दी मैं एयरपोर्ट की ओर निकल जाउंगी. एक दोस्त की मदद से कोच्चि से दुबई और फिर वहां से स्वीडन की फ्लाइट लेकर घर चली जाउंगी.’ भारत घूमने के लिए जेनी पांच बार आ चुकी हैं. इमिग्रेशन अधिकारियों की कार्रवाई के बाद उन्हें डर की वो दोबारा भारत नहीं आएंगी. जेनी ने कहा कि 23 दिसंबर को हुआ प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और उसके लिए कोच्चि प्रशासन से अनुमति मिली थी. और अब इस कार्रवाई से हैरान हैं. 23 दिसंबर को नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद जेनी ने फेसबुक पर तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा था. वीडियो देखिये ‘इस दोपहर मैंने एक विरोध प्रदर्शन पीपुल्स लॉन्ग मार्च में हिस्सा लिया. यह एरनाकुलम के गांधी सर्किल से शुरू होकर कोचिन के वास्को डी गामा स्क्वायर तक गया. प्रदर्शनकारी गाना गा रहे थे और मुक्का बनाकर नारे लगा रहे थे. पीपुल्स लॉन्ग मार्च बेहद व्यवस्थित था. 12 किलोमीटर लंबे मार्च के दौरान दो जगहों पर गर्म पानी, नमक, चीनी और संतरे का रस दिया गया. कोई दंगा नहीं बस लोगों ने इरादा कर रखा है. अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और वो कह रहे हैं जो कहना चाहिए. प्रदर्शन के दौरान पुलिस का रवैया मदद करने वाला रहा.’ इस फेसबुक पोस्ट के साथ जेनी ने तीन हैशटैग #UnitedNotAlone, #BoycottNRC, #RejectCAA का इस्तेमाल किया था. विदेशी नागरिक के भारत छोड़ने का यह दूसरा मामला है. इसी हफ्ते में एक जर्मन स्टूडेंट जैकब को वापस भेजा जा चुका है. जैकब स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आईआईटी मद्रास में पढ़ने आए थे और वहां हुए नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.
71 साल की जेन जॉनसन 23 दिसंबर को कोच्चि में 12 किलोमीटर लंबे नागरिकता क़ानून विरोधी मार्च में शामिल हुई थीं. इसके बाद 27 दिसंबर की सुबह फॉरेनर्स रिजनल रजिस्ट्रेशन ऑफ़िसर की टीम फोर्ट कोच्चि में उनके होटल पहुंची और पूछताछ के बाद तत्काल भारत छोड़ने के लिए कहा. जेनी के मुताबिक तत्काल भारत नहीं छोड़ने पर अफ़सरों ने कार्रवाई की धमकी भी दी. जेनी ने फेसबुक पर लिखा, ‘कुछ घंटे पहले ब्यूरो ऑफ़ इमिग्रेशन के अधिकारी दोबारा उनके होटल पहुंचे. मुझसे भारत छोड़ने या क़ानून कार्रवाई का सामना करने के लिए कहा गया. मैंने इसकी वजह पूछी और भारत छोड़ने का आदेश लिखित में मांगा. मगर मुझसे कहा गया कि लिखित में कुछ भी नहीं मिलेगा. इमिग्रेशन अधिकारी मुझे तब तक छोड़ने को तैयार नहीं हैं जब तक मैं अपना फ्लाइट टिकट नहीं करवा लेती. जल्दी मैं एयरपोर्ट की ओर निकल जाउंगी. एक दोस्त की मदद से कोच्चि से दुबई और फिर वहां से स्वीडन की फ्लाइट लेकर घर चली जाउंगी.’ भारत घूमने के लिए जेनी पांच बार आ चुकी हैं. इमिग्रेशन अधिकारियों की कार्रवाई के बाद उन्हें डर की वो दोबारा भारत नहीं आएंगी. जेनी ने कहा कि 23 दिसंबर को हुआ प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और उसके लिए कोच्चि प्रशासन से अनुमति मिली थी. और अब इस कार्रवाई से हैरान हैं. 23 दिसंबर को नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद जेनी ने फेसबुक पर तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा था. वीडियो देखिये ‘इस दोपहर मैंने एक विरोध प्रदर्शन पीपुल्स लॉन्ग मार्च में हिस्सा लिया. यह एरनाकुलम के गांधी सर्किल से शुरू होकर कोचिन के वास्को डी गामा स्क्वायर तक गया. प्रदर्शनकारी गाना गा रहे थे और मुक्का बनाकर नारे लगा रहे थे. पीपुल्स लॉन्ग मार्च बेहद व्यवस्थित था. 12 किलोमीटर लंबे मार्च के दौरान दो जगहों पर गर्म पानी, नमक, चीनी और संतरे का रस दिया गया. कोई दंगा नहीं बस लोगों ने इरादा कर रखा है. अपनी आवाज़ उठा रहे हैं और वो कह रहे हैं जो कहना चाहिए. प्रदर्शन के दौरान पुलिस का रवैया मदद करने वाला रहा.’ इस फेसबुक पोस्ट के साथ जेनी ने तीन हैशटैग #UnitedNotAlone, #BoycottNRC, #RejectCAA का इस्तेमाल किया था. विदेशी नागरिक के भारत छोड़ने का यह दूसरा मामला है. इसी हफ्ते में एक जर्मन स्टूडेंट जैकब को वापस भेजा जा चुका है. जैकब स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत आईआईटी मद्रास में पढ़ने आए थे और वहां हुए नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था.
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