दिल्ली विधानसभा चुनाव: 8 फरवरी को वोटिंग, 11 को नतीजे
दिल्ली में नागरिगता कानून और जेएनयू में जारी हिंसा के बीच में चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान कर दिया है। 8 फरवरी को वोटिंग होगी और 11 फरवरी को नतीजे आएंगे। चुनाव आयोग के मुताबिक एक चरण में वोटिंग होगी।
वर्तमान दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी को खत्म होने जा रहा है और 22 फ़रवरी से पहले नई सरकार का चुनाव होना ज़रूरी है। साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में से 54.34 प्रतिशत वोटों के साथ 67 सीटें आम आदमी पार्टी को मिली थी। जबकि बीजेपी महज 3 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी और उसे 32.19 फीसदी वोट मिला था। कांग्रेस जो 15 साल से दिल्ली की सत्ता में थी उसे विधानसभा में एक भी सीट नहीं मिली।
इससे पहले 1998 से लेकर 2013 तक शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार तीन बार सरकार बनाई। फिर साल 2013 में विधानसभा चुनाव हुआ। पहली बार आम आदमी पार्टी दिल्ली में चुनावी मैदान में उतरी और जब नतीजे आए तो किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली। 70 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 33.07 प्रतिशत वोट पाकर 31 सीटों पर जीत दर्ज की। आम आदमी पार्टी को 29.49 प्रतिशत वोट मिले और उसने 28 सीटें जीती जबकि सत्ताधारी कांग्रेस महज़ 8 सीटों पर सिमट गई। आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन दे दिया और आप की सरकार बन गई मगर 48 दिनों में ये सरकार गिर गई और फिर फरवरी 2015 में चुनाव हुए जिसमें आम आदमी पार्टी को ज़बरदस्त कामयाबी मिली और वो 67 सीटों के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हुई। लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली में 56.86 प्रतिशत वोटों के साथ बीजेपी ने सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस एक भी सीट तो नहीं जीत पाई मगर 22.63 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बानी जबकि सत्ताधारी आमदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। सीट जीतना तो दूर की बात आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में तीसरे पायदान पर खिसक गई। हालाँकि लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटों पर जीतने वाली बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार दिल्ली में वो सरकार बनाएंगे लेकिन झारखंड भी लोकसभा चुनाव में की 14 से 11 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी मगर जब झारखण्ड विधानसभा चुनावो के नतीजे आये झारखंड की जनता ने बीजेपी सिरे से खारिज कर दिया था। आम आदमी पार्टी फिर एक बार सीएम अरविन्द केजरीवाल के चेहरे पर लड़ेगी लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अभी तक ये तय नहीं कर पायीं है कि वो किस नेता के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरेंगे। वीडियो देखिये
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इससे पहले 1998 से लेकर 2013 तक शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार तीन बार सरकार बनाई। फिर साल 2013 में विधानसभा चुनाव हुआ। पहली बार आम आदमी पार्टी दिल्ली में चुनावी मैदान में उतरी और जब नतीजे आए तो किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली। 70 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 33.07 प्रतिशत वोट पाकर 31 सीटों पर जीत दर्ज की। आम आदमी पार्टी को 29.49 प्रतिशत वोट मिले और उसने 28 सीटें जीती जबकि सत्ताधारी कांग्रेस महज़ 8 सीटों पर सिमट गई। आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन दे दिया और आप की सरकार बन गई मगर 48 दिनों में ये सरकार गिर गई और फिर फरवरी 2015 में चुनाव हुए जिसमें आम आदमी पार्टी को ज़बरदस्त कामयाबी मिली और वो 67 सीटों के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हुई। लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली में 56.86 प्रतिशत वोटों के साथ बीजेपी ने सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस एक भी सीट तो नहीं जीत पाई मगर 22.63 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बानी जबकि सत्ताधारी आमदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। सीट जीतना तो दूर की बात आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में तीसरे पायदान पर खिसक गई। हालाँकि लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटों पर जीतने वाली बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार दिल्ली में वो सरकार बनाएंगे लेकिन झारखंड भी लोकसभा चुनाव में की 14 से 11 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी मगर जब झारखण्ड विधानसभा चुनावो के नतीजे आये झारखंड की जनता ने बीजेपी सिरे से खारिज कर दिया था। आम आदमी पार्टी फिर एक बार सीएम अरविन्द केजरीवाल के चेहरे पर लड़ेगी लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अभी तक ये तय नहीं कर पायीं है कि वो किस नेता के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरेंगे। वीडियो देखिये
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