बीस साल में पहली बार प्रत्यक्ष कर की उगाई कम, बजट से पहले संकट
देश में छाई मंदी अब गहराने लगी है। रिपोर्टो के मुताबिक साल 2019-2020 में प्रत्यक्ष कर यानि आमदनी पर सीधा लगने वाले टैक्स की उगाई पिछले साल से भी कम रहेंगी। आंकड़े बताते है 20 साल में ऐसा पहली बार होगा, जिसने बजट से पहले चिंता काफी बढ़ गयी है।
इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड के बयान के बाद की भारत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डुबो रहा हैं, देश की अर्थव्यवस्था की बुरी हालात अब किसी से छुपी नहीं है। लेकिन सब संकट और भी गहराने वाला है। नरेंद्र मोदी के नेत्तृव वाली केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष का साल 2019-2020 के लिए 13.5 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा था। ये लक्ष्य साल 2018-19 में जमा किये गए 11.5 लाख करोड़ से 17 फीसदी ज्यादा था।
लेकिन न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के मुताबिक आयकर विभाग गुरुवार तक केवल 7.3 लाख करोड़ ही उगाह पाया है, जोकि पिछले साल के इसी समय के आंकड़े से 5.5 फीसदी कम है। आसान शब्दों के कहे तो सरकार के पास पिछले साल से भी कम पैसा आया है, जबकि उसे आशा थी की टैक्स कलेक्शन इस साल बढ़ेंगे। जानकर प्रत्यक्ष कर की उगाई का सीधा रिश्ता बता रहे है सरकारी नीतिओ के साथ। उनके मुताबिक नोटेबंदी और जीएसटी जैसी कदमो से कल-कारखाने बंद हुए है, लाखो नौकरिया गयी है और नई कम्पनिया इस अनिश्चिता के माहोल में कारोबार फैलाना नहीं चाहती। नतीज़न एक तो लोग टैक्स कम भर रहे और टैक्स देने वाले भी कम हुए है। साथ हे सरकार ने इस साल कॉरपोरेट टैक्स की दरे भी घटा दी है ताकि व्यापर को बढ़ावा मिले। सरकार ज़ोरो शोरो से 1 फरबरी को बजट पेश करने के काम में जुटी हुई है, लेकिन जिस तरह से सरकार की आमदनी गिरी है, लगता नहीं लोगो को देने के लिए सरकार साधन जुटा पायेगी।
लेकिन न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के मुताबिक आयकर विभाग गुरुवार तक केवल 7.3 लाख करोड़ ही उगाह पाया है, जोकि पिछले साल के इसी समय के आंकड़े से 5.5 फीसदी कम है। आसान शब्दों के कहे तो सरकार के पास पिछले साल से भी कम पैसा आया है, जबकि उसे आशा थी की टैक्स कलेक्शन इस साल बढ़ेंगे। जानकर प्रत्यक्ष कर की उगाई का सीधा रिश्ता बता रहे है सरकारी नीतिओ के साथ। उनके मुताबिक नोटेबंदी और जीएसटी जैसी कदमो से कल-कारखाने बंद हुए है, लाखो नौकरिया गयी है और नई कम्पनिया इस अनिश्चिता के माहोल में कारोबार फैलाना नहीं चाहती। नतीज़न एक तो लोग टैक्स कम भर रहे और टैक्स देने वाले भी कम हुए है। साथ हे सरकार ने इस साल कॉरपोरेट टैक्स की दरे भी घटा दी है ताकि व्यापर को बढ़ावा मिले। सरकार ज़ोरो शोरो से 1 फरबरी को बजट पेश करने के काम में जुटी हुई है, लेकिन जिस तरह से सरकार की आमदनी गिरी है, लगता नहीं लोगो को देने के लिए सरकार साधन जुटा पायेगी।
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