इंटरनेट आज़ादी में भारत का रिकॉर्ड बेहद ख़राब: आईएफजे
भारत में बार-बार हुए इंटरनेट शटडाउन, सख़्त निगरानी, सेंसरशिप, और सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर हुई गिरफ्तारियों से इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आज़ादी को ज़बरदस्त नुकसान हुआ है। ऐसा मानना है इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट का. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट की साल 2019-20 की साउथ एशिया प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में सोशल मीडिया से सबसे ज्यादा कंटेंट को हटवाने का काम भारत सरकार ने किया.
इसी साल जनवरी में Tiktok ने अपनी पहली ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे उनके प्लेटफार्म पर कंटेंट हटाने को लेकर भारत की तरफ से अर्ज़ियां अमेरिका से भी ज्यादा आती हैं. इसी तरह फेसबुक ने भी ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में दावा किया कि कैसे साल 2019 में यूज़र को लेकर जानकारी मांगने वाली इमरजेंसी रिक्वेस्ट में ज़बरदस्त इज़ाफा हुआ है. ट्वीटर और गूगल ने भी यूज़र इनफॉर्मेशन को लेकर भारत की बढ़ती अर्ज़ियों की बात कही है.
हालांकि भारत के साथ-साथ साउथ एशिया के दूसरे मुल्क भी इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के कुछ ख़ास हिमायती नहीं दिखते हैं. बांग्लादेश में हालिया पारित हुए डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 के आधार पर कई पत्रकारों और लेखकों को हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा बांग्लादेश सरकार ने ऐसी तकनीक भी लागू कर रखी है ककि सरकार किसी भी तरह का ऑनलाइन कंटेंट ब्लॉक कर सकती है. बीते 2 सालों में बांग्लादेश 22 हज़ार वेबसाइट्स को ब्लॉक कर चुका है जिनमें ज्यादातर पोर्न और जुए से जुड़ी वेबसाइट्स थीं. कई एक्टिविस्टों का यह भी मानना है कि इसी आंकड़े में ऐसी वेबसाइट्स भी शामिल थीं जोकि सरकार और समाज की आलोचना करती थी और उन्हें भी बंद कर दिया गया. कमोबेश यही हालात पाकिस्तान में भी दिखे जहां 8 लाख से ज्यादा वेबसाइट् और 12 हज़ार से ज्यादा पोस्ट फेसबुक पर बैन किया गया. इन वेबसाइट और पोस्ट्स को ब्लॉक करने के पीछे कई कारण है जैसे इनका धर्म के खिलाफ होना, अश्लील और सरकार और आर्मी की आलोचना. इसके अलावा देश में इंटरनेट शटडाउन और सरकार की पैनी नज़र भी बदस्तूर जारी है. इससे परेशान होकर फेसबुक, गूगल और ट्विटर ने Asia Internet Coalition नाम का मोर्चा बनाया और पाकिस्तानी पीएम को चिठ्ठी लिखकर कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वे देश में ऑपरेशन बंद कर देंगे. मालदीव में भी पिछले कुछ समय से राजनितिक अस्थिरता, ब्लॉगर्स की हत्या और पत्रकारों के लापता होने जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. सरकार का मानना है कि इंटरनेट के ज़रिए समाज में नफरत का ज़हर घोला जा रहा है. प्रेस और इंटरनेट की आज़ादी पर नफरत और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों की आड़ में श्रीलंका, नेपाल, अफ़ग़ानिस्तान और भूटान जैसे देशों में भी आघात पंहुचा है.
हालांकि भारत के साथ-साथ साउथ एशिया के दूसरे मुल्क भी इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के कुछ ख़ास हिमायती नहीं दिखते हैं. बांग्लादेश में हालिया पारित हुए डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट 2018 के आधार पर कई पत्रकारों और लेखकों को हिरासत में लिया गया है. इसके अलावा बांग्लादेश सरकार ने ऐसी तकनीक भी लागू कर रखी है ककि सरकार किसी भी तरह का ऑनलाइन कंटेंट ब्लॉक कर सकती है. बीते 2 सालों में बांग्लादेश 22 हज़ार वेबसाइट्स को ब्लॉक कर चुका है जिनमें ज्यादातर पोर्न और जुए से जुड़ी वेबसाइट्स थीं. कई एक्टिविस्टों का यह भी मानना है कि इसी आंकड़े में ऐसी वेबसाइट्स भी शामिल थीं जोकि सरकार और समाज की आलोचना करती थी और उन्हें भी बंद कर दिया गया. कमोबेश यही हालात पाकिस्तान में भी दिखे जहां 8 लाख से ज्यादा वेबसाइट् और 12 हज़ार से ज्यादा पोस्ट फेसबुक पर बैन किया गया. इन वेबसाइट और पोस्ट्स को ब्लॉक करने के पीछे कई कारण है जैसे इनका धर्म के खिलाफ होना, अश्लील और सरकार और आर्मी की आलोचना. इसके अलावा देश में इंटरनेट शटडाउन और सरकार की पैनी नज़र भी बदस्तूर जारी है. इससे परेशान होकर फेसबुक, गूगल और ट्विटर ने Asia Internet Coalition नाम का मोर्चा बनाया और पाकिस्तानी पीएम को चिठ्ठी लिखकर कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वे देश में ऑपरेशन बंद कर देंगे. मालदीव में भी पिछले कुछ समय से राजनितिक अस्थिरता, ब्लॉगर्स की हत्या और पत्रकारों के लापता होने जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. सरकार का मानना है कि इंटरनेट के ज़रिए समाज में नफरत का ज़हर घोला जा रहा है. प्रेस और इंटरनेट की आज़ादी पर नफरत और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों की आड़ में श्रीलंका, नेपाल, अफ़ग़ानिस्तान और भूटान जैसे देशों में भी आघात पंहुचा है.
Latest Videos