जामिया हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में इंदिरा जयसिंह, ‘पुलिसिया दंगे का आरोप स्टूडेंट्स पर’
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में दिल्ली पुलिस की बर्बरता और हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. लेकिन चीफ जस्टिस एसए बोबडे शर्त रखी कि सुनवाई से पहले हिंसा रुकनी चाहिए. उन्होंने कहा कि महज़ स्टूडेंट होने के नाते क़ानून हाथ में नहीं लिया जा सकता. यह हिंसा रुकनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगा.
यह याचिका मानवाधिकार मामलों की निगरानी करने वाले संगठन ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क ने दायर की है जिसकी ओर से दलीलें सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और कॉलिन गोंज़ालवेज़ पेश कर रहे थे. इस याचिका में तमाम मांगें रखी हैं.
1- दिल्ली पुलिस की कार्रवाई में ज़ख़्मी जामिया के सभी स्टूडेंट्स का इलाज करवाया जाए. 2- स्टूडेंट्स पर दर्ज सभी आपराधिक मुक़दमे हटाए जाएं और क़ानूनी कार्यवाही रोकी जाए. 3- हिरासत में लिए गए सभी स्टूडेंट्स के नाम दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर साफ़तौर पर लिखे जाएं ताकि स्टूडेंट्स के घरवालों को उन्हें ढूंढने में आसानी हो. 4- यह सुनिश्चित किया जाए कि जामिया के स्टूडेंट्स हॉस्टल ख़ाली नहीं करें क्योंकि बाहर उनके लिए और ख़तरा है. 5- दिल्ली पुलिस की कार्रवाई में ज़ख़्मी हुए सभी स्टूडेंट्स को मुआवज़ा दिया जाए. इसपर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे सुनवाई के लिए तैयार हो गए लेकिन उन्होंने कहा कि पहले हिंसा रुकनी चाहिए. इसके जवाब में इंदिरा जयसिंह और कॉलिन गोंज़ालवेज़ ने कहा कि दंगा दिल्ली पुलिस कर रही है और इल्ज़ाम स्टूडेंट्स पर मढ़ा जा रहा है. जामिया के स्टूडेंट्स अपनी जान बचाने के लिए टॉयलेट्स में छिपने के लिए मजबूर हुए हैं और कई स्टूडेंट्स लापता हैं. जामिया में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के कुछ ही घंटे बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी हिंसा भड़क गई थी. यहां भी सुरक्षाबलों ने बिना इजाज़त कैंपस में घुसकर छात्रों पर लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े. इंदिरा जयसिंह और कॉलिन गोंज़ालवेज़ ने मांग की है कि रिटायर्ड जजों की एक कमिटी फौरन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए रवाना की जाए. ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया ओल्ड बॉयज़ असोसिएशन और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड बॉयज़ असोसिएशन ने भी इस मामले में याचिका दायर की है. इन याचिकाकर्ताओं ने अपील की है कि दिल्ली पुलिस की हिरासत में चल रहे सभी स्टूडेंट्स को छोड़ा जाए और यूनिवर्सिटी को एक क़ैदख़ाने में तब्दील होने से रोका जाए. अब मंगलवार को सुनवाई होने पर सुप्रीम कोर्ट के रुख़ का पता चल पाएगा.
1- दिल्ली पुलिस की कार्रवाई में ज़ख़्मी जामिया के सभी स्टूडेंट्स का इलाज करवाया जाए. 2- स्टूडेंट्स पर दर्ज सभी आपराधिक मुक़दमे हटाए जाएं और क़ानूनी कार्यवाही रोकी जाए. 3- हिरासत में लिए गए सभी स्टूडेंट्स के नाम दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर साफ़तौर पर लिखे जाएं ताकि स्टूडेंट्स के घरवालों को उन्हें ढूंढने में आसानी हो. 4- यह सुनिश्चित किया जाए कि जामिया के स्टूडेंट्स हॉस्टल ख़ाली नहीं करें क्योंकि बाहर उनके लिए और ख़तरा है. 5- दिल्ली पुलिस की कार्रवाई में ज़ख़्मी हुए सभी स्टूडेंट्स को मुआवज़ा दिया जाए. इसपर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे सुनवाई के लिए तैयार हो गए लेकिन उन्होंने कहा कि पहले हिंसा रुकनी चाहिए. इसके जवाब में इंदिरा जयसिंह और कॉलिन गोंज़ालवेज़ ने कहा कि दंगा दिल्ली पुलिस कर रही है और इल्ज़ाम स्टूडेंट्स पर मढ़ा जा रहा है. जामिया के स्टूडेंट्स अपनी जान बचाने के लिए टॉयलेट्स में छिपने के लिए मजबूर हुए हैं और कई स्टूडेंट्स लापता हैं. जामिया में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के कुछ ही घंटे बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी हिंसा भड़क गई थी. यहां भी सुरक्षाबलों ने बिना इजाज़त कैंपस में घुसकर छात्रों पर लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े. इंदिरा जयसिंह और कॉलिन गोंज़ालवेज़ ने मांग की है कि रिटायर्ड जजों की एक कमिटी फौरन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए रवाना की जाए. ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया ओल्ड बॉयज़ असोसिएशन और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड बॉयज़ असोसिएशन ने भी इस मामले में याचिका दायर की है. इन याचिकाकर्ताओं ने अपील की है कि दिल्ली पुलिस की हिरासत में चल रहे सभी स्टूडेंट्स को छोड़ा जाए और यूनिवर्सिटी को एक क़ैदख़ाने में तब्दील होने से रोका जाए. अब मंगलवार को सुनवाई होने पर सुप्रीम कोर्ट के रुख़ का पता चल पाएगा.
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