'फीस वृद्धि को लेकर जेएनयू छात्रों का विरोध जारी' भारत शिक्षा पर कितना ख़र्च करता है?
जेएनयू के छात्र फीस वृद्धि को लेकर पिछले एक महीने से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच पुलिस ने छात्रों पर लाठियां बरसाईं। प्रदर्शन में विकलांग छात्र भी शामिल थे। छात्रों के विरोध पर प्रशासन ने फीस में थोड़ी कटौती ज़रूर की लेकन छात्र इससे संतुष्ट नहीं हुए। संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने पर छात्रों ने संसद मार्च निकाला लेकिन पुलिस ने रास्ते में ही रोक दिया।
जवाहर लाल नेहरू के छात्रों के समर्थन में उतरे स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेन्द्र यादव ने गोन्यूज़ से बात की। उन्होंने कहा कि सवाल केवल जेएनयू का नहीं है और सिर्फ फीस बढ़ने का नहीं है। ये सवाल उच्च शिक्षा के अफोर्डेबिलिटी यानि सामर्थ्य का है। फर्स्ट जेनेरेशन स्टूडेंट यहां आ रहे हैं जिनके परिवार के पास इतना पैसा नहीं है। लेकिन उनके पास दिमाग है, मेहनत करने आए हैं, सपना लेकर आए हैं। वो लोग उच्च शिक्षा कैसे प्राप्त कर सकेंगे और ये सिर्फ उच्च शिक्षा का सवाल नहीं है ये सवाल भारत के भविष्य का है। योगेन्द्र यादव कहते हैं कि यदि कॉमर्शियलाइजेशन का रास्ता खुलता है तो इस देश के 80 फीसदी परिवारों के लिये उच्च शिक्षा के रास्ते बंद कर देगा.
वहीं फीस वृद्धि को लेकर विरोध कर रहे छात्रों में शामिल फारूक़ कहते हैं कि ‘ मैं फिज़िकल चैलेंज्ड हूं। पुलिस जब लाठीचार्ज करती है तो वो देख कर नहीं करती। जब मैंने पुलिस से कहा कि मैं फिज़िकली डिज़ेबल्ड हूं, एक साथी ने कहा कि मुझे दिखता नहीं है। तो पुलिस हमसे कहती है कि यदि तुम अंधे हो यदि तुम लंगड़े हो तो तुम प्रोटेस्ट में क्यों आते हो? फारूक़ ने सवाल उठाया है कि क्या आर्टिकल 14 हमें इक्वालिटी बिफोर लॉ का इजज़त नहीं देती है? उधर जेएनयू छात्रों के समर्थन में आम लोग भी उतर आए हैं जिसमें जेएनयू के एल्युमिनी शामिल हैं। मंडी हाउस से संसद भवन तक मार्च निकाल रहे हैं। गोन्यूज़ से बात-चीत में आम लोगों का कहना है कि शिक्षा कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे बेचा जाए, जिसके पास पैसे हैं सिर्फ उसी को मिले, शिक्षा सभी के लिये होनी चाहिये। भारत अपने जीडीपी का लगभग 2.7 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च करता है। बीते साल नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि भारत को शिक्षा पर अपने जीडीपी का कम से कम 6 फीसदी हिस्सा ख़र्च करना चाहिये। विश्व में ये औसत 4.7 फीसदी है। वहीं चीन अपनी जीडीपी का 8 फीसदी हिस्सा केवल शिक्षा पर ख़र्च करता है।
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वहीं फीस वृद्धि को लेकर विरोध कर रहे छात्रों में शामिल फारूक़ कहते हैं कि ‘ मैं फिज़िकल चैलेंज्ड हूं। पुलिस जब लाठीचार्ज करती है तो वो देख कर नहीं करती। जब मैंने पुलिस से कहा कि मैं फिज़िकली डिज़ेबल्ड हूं, एक साथी ने कहा कि मुझे दिखता नहीं है। तो पुलिस हमसे कहती है कि यदि तुम अंधे हो यदि तुम लंगड़े हो तो तुम प्रोटेस्ट में क्यों आते हो? फारूक़ ने सवाल उठाया है कि क्या आर्टिकल 14 हमें इक्वालिटी बिफोर लॉ का इजज़त नहीं देती है? उधर जेएनयू छात्रों के समर्थन में आम लोग भी उतर आए हैं जिसमें जेएनयू के एल्युमिनी शामिल हैं। मंडी हाउस से संसद भवन तक मार्च निकाल रहे हैं। गोन्यूज़ से बात-चीत में आम लोगों का कहना है कि शिक्षा कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे बेचा जाए, जिसके पास पैसे हैं सिर्फ उसी को मिले, शिक्षा सभी के लिये होनी चाहिये। भारत अपने जीडीपी का लगभग 2.7 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च करता है। बीते साल नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि भारत को शिक्षा पर अपने जीडीपी का कम से कम 6 फीसदी हिस्सा ख़र्च करना चाहिये। विश्व में ये औसत 4.7 फीसदी है। वहीं चीन अपनी जीडीपी का 8 फीसदी हिस्सा केवल शिक्षा पर ख़र्च करता है।
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