50 फ़ीसदी कामगारों को वापस भेज सकता है कुवैत, भारत को तगड़ा झटका
कोरोनावायरस की महामारी के चलते दुनियाभर में नौकरियां जा रही हैं. अब 48 लाख की आबादी वाले अमीर देश कुवैत अपने यहां काम करने वाले प्रवासी कामगारों की क्षमता 50 फीसदी तक घटाने पर विचार कर रहा है. कहा जा रहा है कि पाताल को चूमती तेल की कीमतों और कोरोना से आई भयंकर मंदी के चलते ये कदम जल्द ही कुवैती सरकार उठाएगी. अगर कुवैत सरकार ऐसा करती है तो यह फैसला भारतीयों के लिए एक बड़ा झटका है जो वहां लाखों की तादाद में नौकरी कर रहे हैं.
सरकारी न्यूज़ एजेंसी KUNA के मुताबिक कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबाह अल खालिद अल सबाह ने कहा कि 48 लाख की आबादी वाले कुवैत में करीब 34 लाख लोग प्रवासी कामगार है और उन्हें भविष्य में आने वाली चुनोतियों को ध्यान में रखना होगा. ऐसे में कुवैत को प्रवासी कामगारों की संख्या को कम करना पड़ेगा।
वीडियो देखिए इसके अलावा कुवैत के सांसद पहले ही मांग कर रहे है कि कुवैत की सभी 1 लाख सरकारी नौकरियों को कुवैत की नागरिको को ही दी जाए। इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ने वाला है क्योंकि कुवैत में 10 लाख 29 हज़ार 861 भारतीय रह रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में किसी दूसरे देश के प्रवासी कामगार कुवैत में नहीं हैं. यह फैसला अमल में आने के बाद जब प्रवासी कामगार कुवैत से वापस लौटेंगे तो भारत को हर साल मिलने वाली आमदनी गिरेगी। अन्य खाड़ी देश भी कुवैत की तरह तेल पर ही निर्भर हैं और पूरी आशंका है कि वो भी कुवैत की राह पर चलें। ऐसा होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा जो कंगाली में आटा गीला होने वाला साबित होगा.
वीडियो देखिए इसके अलावा कुवैत के सांसद पहले ही मांग कर रहे है कि कुवैत की सभी 1 लाख सरकारी नौकरियों को कुवैत की नागरिको को ही दी जाए। इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ने वाला है क्योंकि कुवैत में 10 लाख 29 हज़ार 861 भारतीय रह रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में किसी दूसरे देश के प्रवासी कामगार कुवैत में नहीं हैं. यह फैसला अमल में आने के बाद जब प्रवासी कामगार कुवैत से वापस लौटेंगे तो भारत को हर साल मिलने वाली आमदनी गिरेगी। अन्य खाड़ी देश भी कुवैत की तरह तेल पर ही निर्भर हैं और पूरी आशंका है कि वो भी कुवैत की राह पर चलें। ऐसा होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा जो कंगाली में आटा गीला होने वाला साबित होगा.
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