लॉकडाउन में कामबंदी: तमाम राज्यों के दिहाड़ी मज़दूर परेशान
लॉकडाउन में कामबंदी होने से लाखों दिहाड़ी मज़दूर शहरों से अपने गांव लौट चुके हैं. मगर काम नहीं होने से गांवों में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. गांवों में कहीं किसान गेंहू की फसल कटने का इंतज़ार कर रहे हैं तो कहीं कटी हुई फसल घर में पड़ी है. किसान इस बात से परेशान हैं कि लॉकडाउन के चलते उनकी फसल का सही दाम मिल पाएगा या नहीं.
मध्यप्रदेश की तरह गुजरात के आदिवासी इलाक़े में भी हाल बेहाल है. यहां लोग बालू खनन करते हैं लेकिन फिलहाल काम बंद है. इनके बच्चों को खाने-पीने की काफी दिक्कतें आ रही हैं.
सैकड़ों किलोमीटर दूर से चलकर गांव पहुंचे लोगों की सेहत भी बिगड़ रही है. हाल यह है कि अगर कोई बीमार हो जाए तो आसपास कोई अस्पताल नहीं है. लॉकडाउन में 25-30 किलोमीटर की दूरी तय करना बड़ी चुनौती है. वीडियो देखिए गहराते आर्थिक संकट के बीच मज़दूर लॉकडाउन के बाद तालाबंदी खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं क्योंकि हाथ में पैसे बिल्कुल भी नहीं हैं और हालात बेहद नाज़ुक हैं. आदिवासी बहुल इलाक़ों में सरकार की तरफ से मिल रहा राशन पूरे परिवार का पेट भरने के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक राज्य सरकारों को मनरेगा के तहत काम करवाने के लिए कहा गया है ताकि दिहाड़ी मज़दूरों के पास कुछ पैसा पहुंच सके. हालांकि ये गाइडलाइंस अमल में कब आएंगी, यह देखना बाक़ी है.
सैकड़ों किलोमीटर दूर से चलकर गांव पहुंचे लोगों की सेहत भी बिगड़ रही है. हाल यह है कि अगर कोई बीमार हो जाए तो आसपास कोई अस्पताल नहीं है. लॉकडाउन में 25-30 किलोमीटर की दूरी तय करना बड़ी चुनौती है. वीडियो देखिए गहराते आर्थिक संकट के बीच मज़दूर लॉकडाउन के बाद तालाबंदी खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं क्योंकि हाथ में पैसे बिल्कुल भी नहीं हैं और हालात बेहद नाज़ुक हैं. आदिवासी बहुल इलाक़ों में सरकार की तरफ से मिल रहा राशन पूरे परिवार का पेट भरने के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक राज्य सरकारों को मनरेगा के तहत काम करवाने के लिए कहा गया है ताकि दिहाड़ी मज़दूरों के पास कुछ पैसा पहुंच सके. हालांकि ये गाइडलाइंस अमल में कब आएंगी, यह देखना बाक़ी है.
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