देश में हर 10 पुलिसवालों में सिर्फ एक महिला पुलिसकर्मी - गृह मंत्रालय
देश की आधी आबादी अपनी हिस्सेदारी के लिए हर मोर्चे पर आज़ादी के 70 साल बाद भी संघर्ष कर रही है. अब गृह मंत्रालय के नए आंकड़ों से पता चला है कि देश की पुलिस सेवा में महिलाओं की हिस्सेदारी 9 फीसदी से भी कम है. आसान शब्दों में कहें तो देश में हर 10 पुलिसकर्मी पर सिर्फ एक महिला पुलिसकर्मी है।
गृह मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने भारतीय पुलिस सेवा के पुरुषों और महिलाओं की हिस्सेदारी का आंकड़ा जारी किया है. इसके मुताबिक देश में 20 लाख 67 हज़ार 270 पुलिसकर्मी हैं लेकिन इनमें महिला पुलिसकर्मियों की तादाद 1 लाख 85 हज़ार 696 है. यानी महज़ 8.98 फीसदी.
हिंसाग्रस्त राज्य जम्मू कश्मीर में 83 हज़ार 627 पुलिसकर्मी हैं लेकिन यहां महिला पुलिसकर्मियों की तादाद 3 हज़ार 437 यानी सिर्फ 3.5 फीसदी है. तेलंगाना में 53 हज़ार 115 पुलिसकर्मी हैं लेकिन महिला पुलिसकर्मी यहां महज़ 2 हज़ार 198 हैं यानि केवल 4.1 फीसदी. महिला अपराध के मामले में मध्यप्रदेश चोटी के राज्यों में शामिल हैं लेकिन यहां महिला पुलिसकर्मी महज़ 5 हज़ार 365 यानि 5.27 फीसदी हैं जबकि कुल पुलिसकर्मियों की संख्या 1 लाख 1 हज़ार 751 से ज़्यादा है. आंध्र प्रदेश में पुलिसकर्मियों की संख्या 61 हज़ार 168 है लेकिन इनमें महिलाएं सिर्फ 3 हज़ार 456 महिलाएं है जोकि कुल आंकड़े का 5.65 फीसदी है। नक्सल प्रभावित राज्य झारखंड में 62 हज़ार 904 पुलिसवाले हैं लेकिन यहां पुलिस में महिलाएं सिर्फ 4,096 हैं। यानि केवल 6.5 फीसदी। जिन राज्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी ज़्यादा है, उनमें तमिलनाडु सबसे ऊपर है. यहां तैनात 1 लाख 10 हज़ार 186 पुलिसकर्मियों में 19 हज़ार 238 पुलिसकर्मी महिलाएं हैं। यानि कुल आंकड़े का 17.45 फीसदी। बिहार दूसरे नंबर पर है जहां 86 हज़ार 639 पुलिसकर्मियों में 13 हज़ार 559 महिलाएं है। यानि 15.6 फीसदी. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में 7 हज़ार 848 पुलिसवालो में महिला पुलिसकर्मी 1 हज़ार 057 पुलिसकर्मी है। यानि 13.4 फीसदी। वीडियो देखिये महाराष्ट्र में 2 लाख 13 हज़ार 382 पुलिसकर्मियो में 27 हज़ार 660 महिला शामिल है। यानि 12.9 फीसदी। हिमाचल प्रदेश में 2 हज़ार 157 महिला पुलिसकर्मी हैं जबकि कुल पुलिसकर्मियों की संख्या 16 हज़ार 715 है। यानि 12.9 फीसदी. विशेषज्ञों की मानें तो यौन हिंसा के मामलों की जांच महिला पुलिसकर्मियों को सौंपी जाती है लेकिन इसके अलावा क़ानून व्यवस्था से जुड़ी अन्य अहम ज़िम्मेदारी उन्हें नहीं मिल पाती.
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