क्या अर्थव्यवस्था पर चलेगा '5i' का जादू ?
प्रधानमंत्री का नया फ़ॉर्म्युला आ गया है। इस फ़ार्मुले का नाम है ‘5i’। ये लॉकडाउन से बाहर निकलने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रधानमंत्री का नया मंत्र है। प्रधानमंत्री ने कह दिया है कि “एस इंडिया विल गेट इट्स ग्रोथ बैक” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीआईआई के वार्षिक सत्र में भाषण दे रहे थे। अपने भाषण में उन्होंने ये भी कहा की उन्हें देश के उद्योगपतियों पर पूरा भरोसा है। भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर जरूर लौटेगी। इसके लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा सिर्फ़ “5i” की ज़रूरत है। Intent, Inclusion, Investment, Infrastructure, Innovation. ये पाँच बातें हैं जिससे ‘इंडिया विल गेट द ग्रोथ बैक’। प्रधानमंत्री ने कहा की कोरोना वाइरस के कारण विकास दर धीमी हो गई है।
वो बात अलग है कि पिछले साल की आख़िरी तिमाही के नतीजे निराश करने वाले थे। जीडीपी 3.1 पर आ गई। दरअसल पिछले पूरे साल ही अर्थव्यवस्था काफ़ी सुस्त रही और तब कोई कोरोना, कोई लॉकडाउन नहीं था। प्रति व्यक्ति आय भी गिर गया। 5.6 फ़ीसदी से घट कर ये तीन फ़ीसदी पर आ गया और 2018-18-19 के मुक़ाबले जीडीपी 6.8 फ़ीसदी से घट कर 4.2 फ़ीसदी पर आ गया। प्रधानमंत्री ने सीआईआई से कहा हमने लॉकडाउन को पीछे छोड़ दिया है और अब अनलॉक फ़ेज़-1 में एंटर कर चुके हैं। इसलिए एक प्रकार से ग्रोथ वापस आना शुरू हो गया है। लेकिन प्रधानमंत्री के भाषण से पहले सरकारी दावों की पोल खोलता आँकड़ा सामने आ गया। अर्थव्यवस्था का ताज़ा हाल ये है कि विकास दर की रफ़्तार सुस्त पड़ चुकी है। सरकार की आमदनी घट रही है और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडी ने निवेश के लिए भारत को नेगेटिव कैटगरी में डाल दिया है। अब सरकार की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि निवेश और टैक्स वसूली के मोर्चे पर पिछड़ने के बाद वो अपने ख़र्च और योजनाओं के लिए पैसा कहां से लाएगी? क्या प्रधानमंत्री के ‘5i’ वाले फ़ॉर्मूले में कोई जादू छुपा है। क्या ये कोई नया गणित है। इसी सरकार ने जो आँकड़े जारी किए हैं। उन्हें देखने के बाद सचमुच लगता है कि ग्रोथ वापस पाने के लिए शायद कोई करिश्मा होने वाला है। प्रधानमंत्री ने सीआईआई में इस बात पर ज़ोर दिया की ‘मुझे यक़ीन है हम फिर दौड़ेंगे’ हां, मुझे यकीन है कि हम अपनी ग्रोथ को वापस हासिल कर लेंगे कई लोग कहेंगे कि मैं इस संकट की घड़ी में कैसे ये कह सकता हूं। मुझे भारतीय क्षमता, कीमत प्रबंधन, प्रतिभा, तकनीक, बुद्धिजीवियों, किसानों, एमएसएमई, उद्यमियों और उद्योग जगत के लीडर्स आदि पर भरोसा है। प्रधानमंत्री आशा जगाते हैं। जनता ख़ुश हो जाती है। कोरोना संकट तो अब आया है। प्रधानमंत्री तो पिछले छह साल से आशा जगा रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था उनकी बात सुन नहीं रही है। वो बार-बार उसे दौड़ने के लिए कहते हैं लेकिन वो सुस्त की सुस्त है। शायद अब ‘5i’ का जादू चल जाए।
वो बात अलग है कि पिछले साल की आख़िरी तिमाही के नतीजे निराश करने वाले थे। जीडीपी 3.1 पर आ गई। दरअसल पिछले पूरे साल ही अर्थव्यवस्था काफ़ी सुस्त रही और तब कोई कोरोना, कोई लॉकडाउन नहीं था। प्रति व्यक्ति आय भी गिर गया। 5.6 फ़ीसदी से घट कर ये तीन फ़ीसदी पर आ गया और 2018-18-19 के मुक़ाबले जीडीपी 6.8 फ़ीसदी से घट कर 4.2 फ़ीसदी पर आ गया। प्रधानमंत्री ने सीआईआई से कहा हमने लॉकडाउन को पीछे छोड़ दिया है और अब अनलॉक फ़ेज़-1 में एंटर कर चुके हैं। इसलिए एक प्रकार से ग्रोथ वापस आना शुरू हो गया है। लेकिन प्रधानमंत्री के भाषण से पहले सरकारी दावों की पोल खोलता आँकड़ा सामने आ गया। अर्थव्यवस्था का ताज़ा हाल ये है कि विकास दर की रफ़्तार सुस्त पड़ चुकी है। सरकार की आमदनी घट रही है और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडी ने निवेश के लिए भारत को नेगेटिव कैटगरी में डाल दिया है। अब सरकार की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि निवेश और टैक्स वसूली के मोर्चे पर पिछड़ने के बाद वो अपने ख़र्च और योजनाओं के लिए पैसा कहां से लाएगी? क्या प्रधानमंत्री के ‘5i’ वाले फ़ॉर्मूले में कोई जादू छुपा है। क्या ये कोई नया गणित है। इसी सरकार ने जो आँकड़े जारी किए हैं। उन्हें देखने के बाद सचमुच लगता है कि ग्रोथ वापस पाने के लिए शायद कोई करिश्मा होने वाला है। प्रधानमंत्री ने सीआईआई में इस बात पर ज़ोर दिया की ‘मुझे यक़ीन है हम फिर दौड़ेंगे’ हां, मुझे यकीन है कि हम अपनी ग्रोथ को वापस हासिल कर लेंगे कई लोग कहेंगे कि मैं इस संकट की घड़ी में कैसे ये कह सकता हूं। मुझे भारतीय क्षमता, कीमत प्रबंधन, प्रतिभा, तकनीक, बुद्धिजीवियों, किसानों, एमएसएमई, उद्यमियों और उद्योग जगत के लीडर्स आदि पर भरोसा है। प्रधानमंत्री आशा जगाते हैं। जनता ख़ुश हो जाती है। कोरोना संकट तो अब आया है। प्रधानमंत्री तो पिछले छह साल से आशा जगा रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था उनकी बात सुन नहीं रही है। वो बार-बार उसे दौड़ने के लिए कहते हैं लेकिन वो सुस्त की सुस्त है। शायद अब ‘5i’ का जादू चल जाए।
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