नेपाल में राजनीतिक उठापटक, क्या एनसीपी के दो टुकड़े करेंगे ओली ?
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में राजनीतिक उठापटक जारी है। सत्ता के गलियारों में चर्चा गर्म है कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को हटाया जा सकता है। ताज़ा समाचारों के मुताबिक़ ओली के राजनीतिक भविष्य को लेकर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमिटी की शनिवार सुबह होने वाली बैठक टाल दी गई है।
इससे पहले शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प दहल प्रचंड और केपी ओली के बीच भी बैठक हुई थी लेकिन इसका कोई नतीज़ा नहीं निकला था। बाद में दोनों नेताओं ने शनिवार को दोबारा मिलने का फैसला लिया था। दरअसल, नेपाल सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जानकारों के मुताबिक नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में ओली और दहल गुट आमने सामने हैं।
दहल गुट, केपी ओली को पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। उधर, ओली भारत पर आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली उनकी सरकार को अस्थिर कर रही है। इसपर पूर्व पीएम पुष्प दहल प्रचंड ने कहा, 'पीएम ओली का ये आरोप की भारत उन्हें हटाने की साज़िश कर रहा है, ये राजनीतिक दृष्टी से भी ग़लत है और कूटनीतिक दृष्टि से भी ग़लत है।' हालांकि, शुक्रवार की बैठक के बाद पूर्व प्रधानमंत्री दहल प्रचंड ने खुद ओली के इस्तीफे की मांग से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा, 'स्टैंडिंग कमिटी की मीटिंग ओली के इस्तीफे के लिए नहीं बल्कि अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।' लेकिन सिर्फ एक दिन पूर्व, गुरुवार को हुई बैठक में प्रचंड खुद केपी ओली से इस्तीफे की मांग करने में सबसे आगे थे। केपी ओली साफ कर चुके हैं कि वो पीएम और पार्टी अध्यक्ष दोनों पदों से किसी भी कीमत पर इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं दोनों पदों से इस्तीफा नहीं दूंगा। आप जो भी कर सकते हैं करें।’ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की 45-सदस्यीय स्टैंडिंग कमिटी एक पावरफुल बॉडी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ओली के पास सिर्फ 15 नेताओं का साथ है। जानकार मानते हैं कि इससे बचने के लिए केपी ओली सदन में अध्यादेश लाकर पार्टी को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं। बता दें कि मई 2018 में केपी ओली और दहल प्रचंड ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया था। इस दौरान दोनों नेताओं ने एक समझौता किया जिसे सज्जन समझौता कहा जाता है। 16 मई 2018 को हुए इस समझौते में सहमति बनी कि दोनों नेता ढाई-ढाई साल तक कार्यकाल चलाएंगे। लेकिन नवंबर 2019 में ओली ने इससे इंकार कर दिया और कहा कि वो पूरे पांच सालों तक पीएम के पद पर बने रहेंगे और प्रचंड पार्टी को कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर चलाएंगे।
दहल गुट, केपी ओली को पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। उधर, ओली भारत पर आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली उनकी सरकार को अस्थिर कर रही है। इसपर पूर्व पीएम पुष्प दहल प्रचंड ने कहा, 'पीएम ओली का ये आरोप की भारत उन्हें हटाने की साज़िश कर रहा है, ये राजनीतिक दृष्टी से भी ग़लत है और कूटनीतिक दृष्टि से भी ग़लत है।' हालांकि, शुक्रवार की बैठक के बाद पूर्व प्रधानमंत्री दहल प्रचंड ने खुद ओली के इस्तीफे की मांग से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा, 'स्टैंडिंग कमिटी की मीटिंग ओली के इस्तीफे के लिए नहीं बल्कि अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।' लेकिन सिर्फ एक दिन पूर्व, गुरुवार को हुई बैठक में प्रचंड खुद केपी ओली से इस्तीफे की मांग करने में सबसे आगे थे। केपी ओली साफ कर चुके हैं कि वो पीएम और पार्टी अध्यक्ष दोनों पदों से किसी भी कीमत पर इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं दोनों पदों से इस्तीफा नहीं दूंगा। आप जो भी कर सकते हैं करें।’ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की 45-सदस्यीय स्टैंडिंग कमिटी एक पावरफुल बॉडी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ओली के पास सिर्फ 15 नेताओं का साथ है। जानकार मानते हैं कि इससे बचने के लिए केपी ओली सदन में अध्यादेश लाकर पार्टी को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं। बता दें कि मई 2018 में केपी ओली और दहल प्रचंड ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया था। इस दौरान दोनों नेताओं ने एक समझौता किया जिसे सज्जन समझौता कहा जाता है। 16 मई 2018 को हुए इस समझौते में सहमति बनी कि दोनों नेता ढाई-ढाई साल तक कार्यकाल चलाएंगे। लेकिन नवंबर 2019 में ओली ने इससे इंकार कर दिया और कहा कि वो पूरे पांच सालों तक पीएम के पद पर बने रहेंगे और प्रचंड पार्टी को कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर चलाएंगे।
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