देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज होने के बाद अब डेढ़ सौ से ज़्यादा हस्तियां आगे आईं, कहा- हम पर भी दर्ज हो मुक़दमा
पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने पर देशद्रोह का मुक़दमा झेल रहे 49 हस्तियों के समर्थन में अब डेढ़ सौ से ज़्यादा संख्या में लेखक, फिल्मकार और बुद्धजीवी आगे आए हैं. इन लोगों ने केंद्र सरकार को खुली चिट्ठी लिखकर चुनौती दी है कि अब हम लोग रोज़ आवाज़ उठाएंगे. जिन 49 हस्तियों पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज हुआ है, उन्होंने मॉब लिंचिंग के बढ़ते चलन के ख़िलाफ़ पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई की अपील की थी.
नई चिट्ठी में लिखा गया है…
सभी देशवासियों के नाम खुला पत्र : अनेक लोग रोज़ आवाज़ उठायेंगे 7 अक्टूबर , 2019 सांस्कृतिक समुदाय के हमारे 49 साथियों पर केवल इसलिए FIR दर्ज़ कर दी गई है क्योंकि उन्होंने समाज के एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का उदाहरण दिया था. उन्होंने प्रधानमंत्री को देश में हावी हो रहे भीड़तंत्र और मॉब लिंचिंग पर एक खुला पत्र लिखा था. क्या यह देशद्रोह है? या एक साज़िश है न्यायालयों का इस्तेमाल कर देश के ज़िम्मेदार नागरिकों की आवाज़ दबाने की? हम सभी जो भारतीय सांस्कृतिक समुदाय का हिस्सा हैं, एक विवेक पसंद नागरिक होने के नाते, इसकी कड़ी शब्दों में निंदा करते हैं. हम अपने साथियों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र के हर एक शब्द का समर्थन करते हैं. इसलिए वह पत्र हम एक बार फिर साझा करते हुए सांस्कृतिक, शैक्षणिक और विधिक समुदाय से अपील करते हैं कि वे इसे आगे बढ़ाएं. हम जैसे अनेक, रोज़ आवाज़ उठाएंगे. मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़. प्रतिरोध पर हमले के ख़िलाफ़. दमन के लिए कोर्ट के इस्तेमाल के ख़िलाफ़. क्योंकि आवाज़ उठाना ज़रूरी है. इंडियन कल्चरल फोरम की ओर से जारी इस नई चिट्ठी में तमाम मशहूर हस्तियां शामिल हैं. इनमें एक्टर नसीरुद्दीन शाह, डांसर मल्लिका साराभाई, पूर्व राजनयिक और लेखिका नयनतारा सहगल, इतिहासकार रोमिला थापर, क्लासिकल सिंगर टीएम कृष्णा, कवि अशोक जैसी समेत डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों के नाम शामिल हैं. इससे पहले 23 जुलाई को लिखी गई चिट्ठी में फिल्मकार श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, अपर्णा सेन, एक्टर कोंकणा सेन शर्मा, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, समाज विज्ञानी आशीष नंदी समेत 49 लोग शामिल थे.
सभी देशवासियों के नाम खुला पत्र : अनेक लोग रोज़ आवाज़ उठायेंगे 7 अक्टूबर , 2019 सांस्कृतिक समुदाय के हमारे 49 साथियों पर केवल इसलिए FIR दर्ज़ कर दी गई है क्योंकि उन्होंने समाज के एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का उदाहरण दिया था. उन्होंने प्रधानमंत्री को देश में हावी हो रहे भीड़तंत्र और मॉब लिंचिंग पर एक खुला पत्र लिखा था. क्या यह देशद्रोह है? या एक साज़िश है न्यायालयों का इस्तेमाल कर देश के ज़िम्मेदार नागरिकों की आवाज़ दबाने की? हम सभी जो भारतीय सांस्कृतिक समुदाय का हिस्सा हैं, एक विवेक पसंद नागरिक होने के नाते, इसकी कड़ी शब्दों में निंदा करते हैं. हम अपने साथियों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र के हर एक शब्द का समर्थन करते हैं. इसलिए वह पत्र हम एक बार फिर साझा करते हुए सांस्कृतिक, शैक्षणिक और विधिक समुदाय से अपील करते हैं कि वे इसे आगे बढ़ाएं. हम जैसे अनेक, रोज़ आवाज़ उठाएंगे. मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़. प्रतिरोध पर हमले के ख़िलाफ़. दमन के लिए कोर्ट के इस्तेमाल के ख़िलाफ़. क्योंकि आवाज़ उठाना ज़रूरी है. इंडियन कल्चरल फोरम की ओर से जारी इस नई चिट्ठी में तमाम मशहूर हस्तियां शामिल हैं. इनमें एक्टर नसीरुद्दीन शाह, डांसर मल्लिका साराभाई, पूर्व राजनयिक और लेखिका नयनतारा सहगल, इतिहासकार रोमिला थापर, क्लासिकल सिंगर टीएम कृष्णा, कवि अशोक जैसी समेत डेढ़ सौ से ज़्यादा लोगों के नाम शामिल हैं. इससे पहले 23 जुलाई को लिखी गई चिट्ठी में फिल्मकार श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, अपर्णा सेन, एक्टर कोंकणा सेन शर्मा, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, समाज विज्ञानी आशीष नंदी समेत 49 लोग शामिल थे.
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