लॉकडाउन से सर्कस की बाक़ी बची दुनिया भी उजड़ गई

by Arma Ansari 3 years ago Views 5583

The rest of the circus world was devastated by the
जोकर के चुटकुले, बैलेंस बनाने का खेल, ट्रैंपोलीन पर उछल कूद, कलाबाज़ी, करतब, साइकिल की सवारी और बहुत कुछ. यह नज़ारा सर्कस का है जिसका वजूद अब मिटने वाला है. क़ानून में बदलाव और तमाम पाबंदियों से सर्कस की दुनिया पहले ही उजड़ चुकी थी. मगर दो महीने के लॉकडाउन की चोट ऐसी पड़ी है कि कम से कम चार कंपनियों को बंद करना पड़ा है.

देश की सबसे पुरानी कंपनी द ग्रेट बॉम्बे सर्कस की स्थापना 1920 में हुई थी लेकिन ठीक 100 साल बाद इसका वजूद ख़तरे में हैं. द ग्रेट बॉम्बे सर्कस की टीम लॉकडाउन का ऐलान होने के बाद से तमिलनाडु में फंसी है. 180 कलाकारों वाली यह सर्कस कंपनी बंद होने की कगार पर है.


रेनबो सर्कस के मालिक सुजीत दिलीप का कहना कि सर्कस बंद होने से जानवरों और कलाकारों के लिए ख़र्च निकालना मुश्किल हो गया है. सुजीत की मानें तो यूरोपीय देशों में सर्कस फल फूल रहा है लेकिन देश में इस परंपरा को ज़िंदा रखना मुश्किल है.

वीडियो देखिए

सर्कस कंपनियों पर सबसे तगड़ी मार उस वक़्त पड़ी जब 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने जंगली जानवरों की प्रदर्शनी पर रोक लगा दी. इसके अलावा बाल मज़दूरी संशोधन क़ानून के चलते बाल कलाकार भी सर्कस से दूर हो गए. जंगली जानवर और बाल कलाकर सर्कस का ख़ास आकर्षण हुआ करते थे लेकिन इनपर पाबंदी के बाद सर्कस कंपनियां बंद होने लगीं. एक अनुमान के मुताबिक देश में बमुश्किल एक दर्जन सर्कस कंपनियां बचीं हैं. इस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए सर्कस कंपनियों ने सरकार से मदद की अपील की है.

Latest Videos

Latest Videos

Facebook Feed