आम आदमी क़र्ज़ से चला रहा है घर, कारोबारियों को क़र्ज़ से परहेज़
पिछले कुछ सालों से देश पहले से ही गंभीर आर्थिक मंदी से गुजर रहा था लेकिन अब तो मानो हालात बद से बदतर हो चले हैं। आलम यह है कि एक तरफ लोग व्यावसायिक क़र्ज़ लेने को तैयार नहीं है वही दूसरी तरफ आम आदमी कर्ज लेकर अपना घर चला रहा है।
अब आरबीआई की ताजा रिपोर्ट बताती है की साल अप्रैल 2012 से लेकर मार्च 2016 तक जहां क्रेडिट ग्रोथ यानी कर्ज वृद्धि दर 11 फ़ीसदी थी, वहीं यह अप्रैल 2016 से लेकर मार्च 2020 तक घटकर केवल 8.8 फीसदी रह गई है। क्रेडिट ग्रोथ का गिरना साफ दर्शाता है की देश में कर्ज को लेकर कैसे डर बड़ा है और अर्थव्यसव्था पर छाई अनिश्चिता के कारण कारोबारी बड़े कर्ज़ों से दूर रहने में ही भलाई समझ रहे हैं। और बैंक भी लोन देने से किनारा कर रहे है।
अब आरबीआई के ताज़ा आकड़ो के मुताबिक जहां बड़े उद्योगों को दिए जाने वाले क़र्ज़ में 9.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, वहीं ये साल 2016 से 2020 में घटकर 1.9 फीसदी रह गई है। इसी तरह 2012 से 2016 में मझोले उद्योगों के क़र्ज़ में 3.3 फीसदी की गिरावट हुई, वो 2016 से साल 2020 में 2.1 फीसदी पर पहुंच गई है। सबसे बुरा हाल सूक्ष्म और लघु उद्योगों का है। जहां 2012 से 2016 के बीच इसकी क़र्ज़ वृद्धि दर 11.9 फीसदी थी, वो साल 2016 से 2020 में घटकर 0.7 फीसदी रह गई है। लेकिन जब व्यवसायिक क़र्ज़ लेने में कमी आ रही है, वहीं पर्सनल लोन में तेज़ी आई है। यानी लोग अब रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए क़र्ज़ ले रहे हैं। वीडियो देखिये साल 2012 से 2016 के बीच यहां पर्सनल लोन में 15.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी, वहीं साल 2016 से 2020 में ये बढ़कर 16.4 हो गई है। चार महीने पहले भी गोन्यूज़ ने ट्रांसयूनियन के हवाले से एक रिपोर्ट जारी की थी कि कैसे आम आदमी क़र्ज़ लेकर अपना घर चला रहा है। लेकिन अब आरबीआई के इन आकड़ो से तस्वीर पूरी साफ़ हो जाती है की जहां कारोबारी अपने आप को लंबे क़र्ज़ से नहीं बांधना चाहता, वहीं आम इंसान क़र्ज़ लेकर घर चलने को मज़बूर है।
अब आरबीआई के ताज़ा आकड़ो के मुताबिक जहां बड़े उद्योगों को दिए जाने वाले क़र्ज़ में 9.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, वहीं ये साल 2016 से 2020 में घटकर 1.9 फीसदी रह गई है। इसी तरह 2012 से 2016 में मझोले उद्योगों के क़र्ज़ में 3.3 फीसदी की गिरावट हुई, वो 2016 से साल 2020 में 2.1 फीसदी पर पहुंच गई है। सबसे बुरा हाल सूक्ष्म और लघु उद्योगों का है। जहां 2012 से 2016 के बीच इसकी क़र्ज़ वृद्धि दर 11.9 फीसदी थी, वो साल 2016 से 2020 में घटकर 0.7 फीसदी रह गई है। लेकिन जब व्यवसायिक क़र्ज़ लेने में कमी आ रही है, वहीं पर्सनल लोन में तेज़ी आई है। यानी लोग अब रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए क़र्ज़ ले रहे हैं। वीडियो देखिये साल 2012 से 2016 के बीच यहां पर्सनल लोन में 15.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी, वहीं साल 2016 से 2020 में ये बढ़कर 16.4 हो गई है। चार महीने पहले भी गोन्यूज़ ने ट्रांसयूनियन के हवाले से एक रिपोर्ट जारी की थी कि कैसे आम आदमी क़र्ज़ लेकर अपना घर चला रहा है। लेकिन अब आरबीआई के इन आकड़ो से तस्वीर पूरी साफ़ हो जाती है की जहां कारोबारी अपने आप को लंबे क़र्ज़ से नहीं बांधना चाहता, वहीं आम इंसान क़र्ज़ लेकर घर चलने को मज़बूर है।
Latest Videos