आतंकवादियों/नक्सलियों से ज्यादा गुंडे-बदमाशों को पकड़ने में होते है पुलिसवाले शहीद : NCRB
कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस पार्टी पर कानपुर में हुए हमले ने देश को हिलाकर रख दिया। लोग याद करने लगे हैं कि आखिरी बार पुलिसवालों पर इतना भयानक हमला कब हुआ था। हालांकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि हर साल आतंकवादियों से ज्यादा गुंडे-बदमाशों को पकड़ने में पुलिसवाले शहीद होते हैं। आंकड़े ये भी बताते हैं कि देश में सबसे ज्यादा ड्यूटी पर उत्तर प्रदेश में ही पुलिसवाले शहीद होते हैं.
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आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में उत्तर प्रदेश में 70 पुलिसवालो की ड्यूटी के समय मौत हुई। इनमें 42 मौतें गलती से बंदूक चल जाने से, 22 मौतें डकैती नाकाम करते हुए और 4 की मौत पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय अलगाववादियों द्वारा की गई। यहां ग़ौर करने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश में ना तो नक्सली सक्रिय हैं, ना राज्य में कश्मीर और पंजाब के जैसे कोई आतंकवाद समर्थित संगठन सक्रिय हैं या रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाद पंजाब और तमिलनाडु में 54, महाराष्ट्र में 51 और जम्मू-कश्मीर में 50 पुलिसवालों की जान ड्यूटी के समय चली गयी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में कुल 555 पुलिसवालो की ड्यूटी करते हुए मौत हुई। इसमें सबसे ज्यादा यानि 394 मौते तो अलग अलग हादसों में चली गयी. इनके अलावा 46 मौतें डकैती नाकाम करते हुए, छापेमारी और बदमाशों से मुठभेड़ में हुई , 44 की मौत आतंकवादियों से लोहा लेते हुए हुई , 26 शहीद हुए नक्सली हिंसा में, 18 पुलिसवाले दंगे की भेंट चढ़ गए, 16 की जान गलती से बंदूक चल जाने से हुई और 7 पुलिसवालों को पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय अलगाववादियों ने मार डाला। इनके अलावा 2018 में ही 2408 पुलिसवाले घायल भी हुए थे।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में उत्तर प्रदेश में 70 पुलिसवालो की ड्यूटी के समय मौत हुई। इनमें 42 मौतें गलती से बंदूक चल जाने से, 22 मौतें डकैती नाकाम करते हुए और 4 की मौत पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय अलगाववादियों द्वारा की गई। यहां ग़ौर करने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश में ना तो नक्सली सक्रिय हैं, ना राज्य में कश्मीर और पंजाब के जैसे कोई आतंकवाद समर्थित संगठन सक्रिय हैं या रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाद पंजाब और तमिलनाडु में 54, महाराष्ट्र में 51 और जम्मू-कश्मीर में 50 पुलिसवालों की जान ड्यूटी के समय चली गयी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में कुल 555 पुलिसवालो की ड्यूटी करते हुए मौत हुई। इसमें सबसे ज्यादा यानि 394 मौते तो अलग अलग हादसों में चली गयी. इनके अलावा 46 मौतें डकैती नाकाम करते हुए, छापेमारी और बदमाशों से मुठभेड़ में हुई , 44 की मौत आतंकवादियों से लोहा लेते हुए हुई , 26 शहीद हुए नक्सली हिंसा में, 18 पुलिसवाले दंगे की भेंट चढ़ गए, 16 की जान गलती से बंदूक चल जाने से हुई और 7 पुलिसवालों को पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय अलगाववादियों ने मार डाला। इनके अलावा 2018 में ही 2408 पुलिसवाले घायल भी हुए थे।
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